लज्जा: तस्लीमा नसरीन | Lajja Novel PDF In Hindi

लज्जा तस्लीमा नसरीन – Lajja Book/Pustak PDF Free Download

घटना की शरुआत

इकहत्तर में सुधामय मयमनसिंह के एक अस्पताल में डॉक्टर थे उस समय ये परिक्रमा पर दोनों जगह काफी व्यस्त रहती थी शाम की स्वदेशी बाजार में एक दवा की दुकान पर बैठे थे तब किरण गयी की गोद में छह महीने का बच्चा या व़े बैटे सुरंजन की उप्र बारह वर्ष थी।

इसलिए उनका उत्तरदायित्व कम नहीं था अस्पताल में भी उनको जोते ही सब कुछ सम्भातना पड़़ता था उसी बीच समय मिलते ही शरीफ के साथ मोबाजी करने जाते थे वह मार्च की सात या आठ तारीख होगी।

रेसकोर्स के मैदान में शेख मुजीब का भाषण सुनकर आये शरीफ, बबलू, फैनुत, भाई ने रात के बारह बजे आकर सुधामय के ब्रह्मपत्ती के धर का दरवाजा टयया।

शेख मुजीबुर्रहमान ने जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा है |

यदि एक भी गोली और चली, पर मेरे और एक भी आदमी की हत्या की गई, तो फिर आप लोगों से मेरा अनुरोध है कि पर पर को दुर्ग वना डातें।

जिसके पास जो है, उसे ही मुकाबला करना होगा। हमारा संग्राम मुक्ति का संग्राम है। हमारा संग्राम स्वाधीनता का संग्राम है वे गुस्से से कांप रहे थे टेनित टोकते हुए बोले, ‘सुपादा, कुछ तो करना होगा।

बैठे आने से काम नहीं बनेगा यह तो सुधापय भी समय रहे थे। इसके बाद पच्चीस मार्च की वह काली रात आयी।

रात के अंधेरे में पाकिस्तानी सैनिकों ने सोये हुए बंगालियों के ऊपर अचानक हमला बोल दिया। दोस्तो ने आकर समय के घर का दरवाजा भी खाया था और फुसफुसाहट के साथ कहा था, युद्ध में जाना होगा।

इसके अलावा अन्य कोई उपाय नहीं है। भरापूरा परिवार छोड़कर युद्ध में जाना, फिर उनकी उम्र भी कुछ युद्ध में जाने की नहीं थी फिर भी अस्पताल में उनका मन नहीं लग रहा था। कॉरिडोर में अकेते रहलते रहे ।

लेखक तस्लीमा नसरीन-Taslima Nasrin
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 192
Pdf साइज़6.3MB
CategoryNovel

लज्जा – Lajja Taslima Nasrin Book/Pustak PDF Free Download

1 thought on “लज्जा: तस्लीमा नसरीन | Lajja Novel PDF In Hindi”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!