खेती की शिक्षा – Education of Agriculture Book Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
ऊपर मिली हुई रीति से जल के निकास की तनवीन करने में सर्व ज्यादा बैठता है, परन्तु इससे जमीन सुधर जाती है।
खुली नालियाँ बनाने से बहुत सी ज़मीन वेकाम हो जाती है, कारण कि नालियों में फसल नहीं बोई जा सकती, परन्तु यदि ज्यादा खर्च न किया जा सके तो नालियां तो अवश्य बनानी चाहिए।
जमीन के घटकावयव में हेरफेर करना कई स्खेतों में श्रावश्यक खाद्य पदार्थों के अभाव के कारण था पर्याप्त मात्रा में न होने के कारण फसल अच्छी नहीं होती।
इस ज़मीन को सुधारने के लिए खेती में खनिज और सेन्द्रिय साद दाने जाते हैं जिससे जमीन के घटकावयत में फेरबदल हो जाता है।
घटकावयव में फेर-बदल करने की कुछ रीतियाँ नीचे दी जाती हैं।चिकनी मट्टी सुधारना चिकनी मही के कणा बहुत चिकने होते हैं अतएव वे एक दूसरे से चिपक जाते हैं जिससे उसमें से पानी जल्दी नहीं निकलता।
इसके अलावा इस ज़मीन में अल्यूमिना ज़्यादा रहता है, उसके सम्मिलित हो जाने से पानी उसी जमीन में रह जाता है जिससे ज़मीन ठण्डी रहती है।
ऐसी ज़मीन में बन स्पति की जड़ें सड़ जाती है। इसके अलावा इस जमीन में बनस्पति की जड़ें भी कठिनता से प्रवेश कर पाती हैं।
इस जमीन को सुधारने की सरल रीति यह है कि खेत में जितनो रेती डाली जा सके उतनी डाली जानी चाहिए परन्तु यदि ज़मीन का रफ़शा बहुत ही अधिक हो तो ऐसा करना करीब करीब असम्भव है।
अतएव लगातार दो-तीन वर्षों तक बेटा मैं सन, ढंचा, मूंग आदि बोकर उन्हें फूल आने के पहले ही हल से मिट्टा में मिला देना चाहिए । इससे मिट्टी का चिकना पन बहुत कम हो जायगा।
लेखक | शंकरराव जोशी-Shankarrav Joshi |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 83 |
Pdf साइज़ | 2.7 MB |
Category | विषय(Subject) |
खेती की शिक्षा – Education of agriculture Book Pdf Free Download