काली पुराण – Kalika Purana Book/Pustak PDF Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
कालिका पुराण की महिमा
जो एक बार भी इस कालिका पुराण का पाठ करता है वह सभी कामनाओं को प्राप्त करके अमृतत्व अर्थात् देवत्य को प्राप्त किया करता है ।
जिससे मन्दिर में यह लिखा हुआ उत्तम पुराण सदा स्थित रहता है, हे द्विजो! उसको कभी विघ्न नहीं होता जो पुराण सदा स्थित रहता है, हे द्विजो! उसको कभी विघ्न नहीं होता।
जो प्रतिदिन इसका गोपनीय अध्ययन करता है जे कि यह परम तन्त्र है । हे द्विज श्रेष्ठों! उसने यहाँ पर ही सम्पूर्ण वेदों क अध्ययन कर लिया है ।
इस कारण से इससे अधिक अन्य कुछ भी नहीं है । विलक्षण पुरुष इसके अध्ययन से कृतकृत्य हो जाता है ।
इसके अध्ययन तथा श्रवण करने वाला पुरुष परम सुखी तथा लोक में बलवान् और दीर्घ आयु वाली भी हो जाता है ।
जो निरन्तर लोक का पालन करता है और अन्त में विनाश करने वाला है । यह सम्पूर्ण भ्रम या अभ्रम से युक्त है मेरा ही स्वरूप है, अतएव उसके लिए नमस्कार है ।
श्री काली के सम्बन्ध में
मार्कण्डेय पुराण के सप्तशती खण्ड में जिन काली देवी का वर्णन है अथवा जिनका जन्म अम्बिका के ललाट से हुआ है वे काली श्री दुर्गा जी के स्वरूपों में से ही एक स्वरूप है तथा आद्या महाकाली से सर्वथा भिन्न है ।
भगवती आद्या काली अथवा दक्षिणा काली अनादिरूपा सारे चराचर की स्वामिनी हैं जबकि पौराणिक काली तमोगुण की स्वामिनी हैं ।
दक्षिण दिशा में रहने वाला अर्थात् सूर्य का पुत्र यम काली का नाम सुनते ही डरकर भाग जाता है तथा काली उपासकों को नरक में ले जाने की सामर्थ्य उसमें नहीं है इसलिए श्री काली को ‘दक्षिणा काली’ और ‘दक्षिण कालिका’ भी कहा जाता है ।
दस महाविद्याओं में काली सर्वप्रधान हैं । अतः इन्हें महाविद्या भी कहा जाता है । वही स्त्रीरूपी । ‘वामा’ ‘दक्षिण’ पर विजय पाकर मोक्ष प्रदायिनी बनी । इसलिए उन्हें तीनों लोकों में ‘दक्षिणा’ कहा जाता है ।
लेखक | – |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 442 |
PDF साइज़ | 51.6 MB |
Category | Religious |
सम्पूर्ण कालिका पुराण – Kalika Puran Book/Pustak Pdf Free Download
Kalika Puran Book Dene Ke Liye Dhanyavad.
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कालिका पुराण
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