जापु साहिब विचार विख्याता | Japu Sahib Vichar Vyakhya PDF In Hindi

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जापु साहिब विचार विख्याता – Japu Sahib Vichar Vyakhya PDF Free Download

जापु साहिब विचार विख्याता

हे प्रभु ! तुझे मेरी नमस्कार है कि तू अकाल स्वरूप है अर्थात् मृत्यु रहित है। हे ईश्वर तू रहमत का सागर है अर्थात् दया का घर है। तेरा कोई विशेष रूप नहीं तथा तेरे जैसा और कोई नहीं तू अनूप है

अर्थात् उपमा रहित क्योंकि तेरे जैसा या तेरे जितना और कोई नहीं जिससे तेरी उपमा की जा सके। उसके विलक्षण दयालु रूप को एक तथ्य द्वारा समझने का यत्न किया जा सकता है।

हुआ यूं कि एक बार एक भक्त ने ईश्वर से प्रार्थना की कि मुझे केवल एक दिन के लिए जीवों को रिजक पहुंचाने की आज्ञा दे दो! ईश्वर का जवाब था कि यह कार्य में किसी को नहीं दे सकता।

अनेक बार अनुनय-विनय करने पर इस आदेश के साथ कि ठीक है, 24 घण्टों के लिए यह कार्य तुम्हारा हुआ, पर ख्याल रहे, प्रत्येक जीव को हर हाल में रिज़क पहुंचना चाहिए।

भक्त की खुशी की सीमा न रही और वह वचन देकर अपने कर्तव्य का निर्वाह करने चल पड़ा। वह चूक गया। उसने एक इन्सान को खूंखार जानवरों से भी बदतर निकृष्ट कार्य करते देखा

उसे रिज़क नहीं पहुंचाया। जब समय पूरा होने पर ईश्वर ने भक्त से पूछा कि क्या सब कुछ ठीक-ठाक हो गया, सबको रिजक पहुंच गया तो भक्त का जवाब था

केवल एक इन्सान जिसे इन्सान कहते हुए भी मुझे शर्म महसूस होती है, उसे छोड़कर समस्त जीवों को रिजक पहुंचाया है। अगर आप भी उसे इस रूप में देखते तो आप भी उसे रिज़क न देते !

भगवान का जवाब था, मैं तो हर पल कितने ही जीवों को अत्यन्त घिनौने कृत्य करते देखता हूं, फिर भी उनका रिज़क बन्द नहीं करता। तूने अपने कर्त्तव्य का ठीक से पालन नहीं किया।

लेखक मनजीत कौर-Manjit Kaur
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 151
Pdf साइज़4.3 MB
Categoryसाहित्य(Literature)

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