जैन रामायण | Jain Ramayana PDF In Hindi

‘जैन रामायण’ PDF Quick download link is given at the bottom of this article. You can see the PDF demo, size of the PDF, page numbers, and direct download Free PDF of ‘Jain Ramayan’ using the download button.

जैन रामायण – Jain Ramayana Book PDF Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश

राक्षसवंश और वानरवंशकी उत्पत्ति ।

अंजनके समान कान्ति बाले, हरिवंशमें चंद्रमाके समान श्री ‘ मुनिसुव्रतस्वामी, अरिहंतके तीर्थमें बलदेव ‘राम ( पद्म ) वासुदेव ‘ लक्ष्मण – ( नारायण ) और प्रतिवासु देव ‘रावण’ उत्पन्न हुए थे ।

उन्हींके चरित्रोंका अ वर्णन किया जायगा । जिस समय श्री ‘ अजितनाय प्र विचरते थे उस समय भरतक्षेत्रके राक्षसद्वपकी ‘लंका’ पुरीमें राक्षस वंशका अंकुरभूत-राक्षसवंशका आदिपुरुष ‘धनवाइन’ नामका राजा हुआ था ।

वह सद्बुद्धि राजा अपने पुत्र ‘महाराक्षस’ को राज्य दे ‘ अजितनाथ’ से दीक्षा ले, उपवरण कर मोक्षमें गया। ‘महाराक्षस भी अपने पुत्र ‘देवराक्षस’ नामके पुत्रको राज्य सौंप, व्रत अंगी बार कर, पाळ, मोक्षमें गया ।

इस तरह उत्तरोत्तर राक्षस द्वीपमें असंख्य राजा होगये। पीछे श्रेयांस प्रभु के ‘कीर्तिवल’ नामक राजा राक्षस दीपमें राज्यकरने लगा । उसी कालमें बैसाढ्य पर्वतपर ‘मेघपुर’ नगरमें बिया घरोंका प्रसिद्ध राजा ‘ अतींद्र’ हुआ।

उसके ‘ श्रीमती नामकी पत्नी थी । उसकी कूखसे दो सन्तान हुई । * श्रीकंठ’ नामक एक पुत्र और देवीके समान स्वरूपवान ‘देवी’ नामक एक कन्या । रत्नपुरके राजा ‘पुष्पोत्तर’ नामक विद्याधरोंके स्वामीने अपने पुत्र ‘पद्मोत्तर के लिए

उस चारुलोच” देवीको, माँगा । मगर ‘अतीन्द्रने’ गुणवान और श्रीमान ‘पद्मोत्तरको अपनी कन्या देना अस्वीकार कर दिया। दैवयोगसे कन्या के लग्न राक्षस द्वीप के राजा ‘ कीर्तिधवल के साथ हुए ।

‘ देवीका व्याह कीर्तिधवल के साथ होगया है, यह चात सुनकर पुष्पोत्तरको बहुत क्रोध आया । उसी सम यसे इस अपमानका बदला लेनेके लिए वह अतींद्र और उसके पुत्र श्रीकंठसे शत्रुता रखने लगा ।

लेखक हेमचंद्राचार्य-Hemchandracharya
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 503
Pdf साइज़11 MB
Categoryधार्मिक(Religious)

Related PDFs

वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस PDF

जैन रामायण – Jain Ramayana Book PDF Free Download

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *