मानव रोग नोट्स | Human Diseases PDF In Hindi

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मानव रोग का संपूर्ण नोट्स – Complete Notes Of Human Disease PDF Free Download

मानव रोग

जन्मजात रोग (Congenital diseases)

रोगों को, जो नवजात शिशु में जन्म के समय से ही विद्यमान होते हैं। जन्म जात रोग कहते हैं अनुवांशिक विकार (Cenetic [disorder), हार्मोन का असंतुलन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system) का सही तरीके से काम नहीं करना, कुछ ऐसे कारक हैं जो मनुष्य के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।”। थैलेसीमिया, हीमोफिलिया, सिकल सेल रक्ताल्पता आदि।

अर्जित रोग (Acquired diseases)

रोग या विकार, जो जन्मजात नहीं होते लेकिन विभिन्न कारणों और कारकों की वजह से हो जाते हैं, अर्जित रोग कहलाते हैं। हमारे आसपास हजारों ऐसे रोगाणु (pathogen) विद्यमान हैं जो हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) के कमजोर होते ही उस पर आक्रमण कर रोग उत्पन्न कर देते हैं।

ऐसे रोगाणु भोजन, पानी, वायु और त्वचा के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और शरीर के विभिन्न कोशिकाओं, उतकों, अंगों को प्रभावित करते हैं.

अर्जित रोगों के प्रकार

संक्रामक रोग (Communicable diseases)- ये रोग कई प्रकार के रोगजनक वायरस, बैक्टीरिया, प्रोटोजोआ, कवक और कीड़ों की वजह से होते हैं।

ये रोगजनक आमतौर पर रोगवाहकों की मदद से एक जगह से दूसरे जगह फैलते हैं। • असंचरणीय रोग (Non-communicable diseases)ये रोग मनुष्य के शरीर में कुछ अंगों या अंग प्रणाली के सही तरीके से काम नहीं करने की वजह से होते हैं। इनमे से कई रोग पोषक तत्वों, खनिजों या विटामिनों की कमी से भी होते हैं, जैसे- कैंसर, एलर्जी इत्यादि।

संक्रामक रोगों के प्रकार

• प्रत्यक्ष संचरणीय रोग (Direct transmitted diseases)- सूक्ष्मजीवीय जनित कुछ रोग सीधे संपर्क अथवा श्वास द्वारा संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति तक फैलते हैं, जैसे क्षय रोग (टी.बी.), चेचक, काली खांसी (whooping cough), इन्फ्लूएंजा आदि|

• अप्रत्यक्ष संचरणीय रोग (Indirect transmitted diseases)- कुछ सूक्ष्मजीवीय जनित रोग चाहको (वेक्टर) के द्वारा रोगी से स्वस्थ मनुष्य में फैलते हैं, जैसे मलेरिया, हैजा, पोलियो, डेंगू, काला अजार, अफ्रीकन निदा रोग इत्यादि।

अप्रत्यक्ष संचरणीय रोग (Indirect transmitted diseases)- कुछ सूक्ष्मजीवीय जनित रोग चाहको (वेक्टर) के द्वारा रोगी से स्वस्थ मनुष्य में फैलते हैं, जैसे मलेरिया, हैजा, पोलियो, डेंगू, काला अजार, अफ्रीकन निदा रोग इत्यादि।

यौन संचारित रोग (Sexually Transmitted Diseases)

• एड्स नामक बीमारी का कारण एच. आई. वी. विषाणु है जो कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर आक्रमण कर कमजोर कर देता है जिससे मनुष्य में अन्य रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है और वह अन्य रोगों से ग्रसित हो जाता है।

• सिफलिस एक यौन संक्रमित बीमारी है जो बैक्टीरिया ट्रेपोनेमा पैलिडम द्वारा फैलता है। गर्भावस्था या जन्म के समय यह रोग माँ से बच्चे अथवा गर्भ में पल रहे बच्चे में भी संक्रमित हो सकता है।

गोनोरिया (सुजाक)- यह रोग नीसेरिया गानोरिआ नामक जीवाणु के कारण होता है।

मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Human Immune System)

सहज प्रतिरक्षा प्रणाली (Innate immune system) फैगोसाईटिक कोशिकाएं, डेनड्राईटिक कोशिका, नेचुरल किलर कोशिका आदि शरीर में प्रविष्ट होने वाले रोगाणुओं को ख़त्म करने का प्रयास करती हैं।

• अनुकूली प्रतिरक्षा प्रणाली (Adoptive immune system)- जब रोगाणु सहज प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा देकर शरीर के अन्दर प्रविष्ट हो जाते हैं तब इस प्रणाली की घटक कोशिकाएं सक्रिय हो जाती हैं।

सबी लिम्फोसाइट कोशिका सक्रिय होकर प्रतिजन के विरुद्ध एंटीबाड़ी का स्राव करती है और यह रोगाणु को नष्ट करती है जबकि टी लिम्फोसाइट कोशिका विषाणुओं के द्वारा संक्रमित कोशिकाओं को नष्ट करती है।

टीकाकरण (Vaccination)

सर्वप्रथम अंग्रेज चिकित्सक एडवर्ड जेनर ने १७९८ ईस्वी में चेचक के विरुद्ध टीका (वैक्सीन) तैयार करने में सफलता प्राप्त की थी। रोगाणु को मारकर, अथवा उसके किसी भाग अथवा उसके द्वारा उत्पन्न पदार्थ, को शरीर में प्रविष्ट करा कर प्रतिरक्षा प्रणाली को उस रोगाणु के विरुद्ध सक्रिय किया जाता है। इसी प्रक्रिया को टीकाकरण कहते है

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भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 49
PDF साइज़ 15 MB
CategoryHealth
Source/Creditsdrive.google.com

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