हिन्दुओ के व्रत और त्यौहार – All Hindu Vrat Collection PDF Free Download
सभी व्रतों की कहानी का संग्रह
उर से कुछ बोल न सकी। नारव माया के महलों की तरक चल दिये।नारद ने उक्त स्थान पर जाकर देखा वो वहां न तो क्राईल या मकान था, न मनुष्य के रहने का निशान था
पोर सपन जङ्गल मे असंख्य हिंसक पशु फिर रहे थे। महान अन्धकार छाया हुआ था। बादल उमड़े हुए थे और विजली चमक रही थी। नारद अन्धकार मे भूलते-भटकते फिर रहे थे।
इतने मे विजली चमकी और शिवजी की माला उनको एक वट-वृत की शाखा से टैगी दिखाई दी। नारदजी माला को लेकर वहां से भाने और शिवजी के हैं। पास आकर वोले-“धन्य है प्रभु आप, श्र धन्य आप की गैरा रानी !
आज आपने तो मेरे प्राण ही ले लिये होते । वहाँ न कोई महल है, न मनुष्य । घोर बन में यह माना एक वट-वृक्ष से टेंगी थी। अब मेरी समझ में आया, वह सब इन्ही की माया थी।
तब शिवजी ने हँसते हुए पार्वतीजी को सम्बोधन करके कहा- “क्यों ? अब भी तुम नहीं मानती । स्त्री-चरित्र की माया का विस्तार किये बिना तुम्हारा जी नही मानता।
तुमने वृथा विचारे ब्राह्म-ऋषि को परेशान किया ? इन्हीं सब कारणों से हम तुमको साथ नहीं लाते थे ।”गोरा पार्वती ने विनती की-“हे प्रभु, यह सब आपकी कृपा का प्रभाव है।
मै किस वाग्य हैं जो नारद जी को भुला भटका सके ।” तव नारदजी ने शिव-पार्वती दोनों को साशाङ्ग प्रणाम करके कहा-“माता ! आप पतिताओं मे गिर गये,सदैव सौभाग्यवती,
वापि-रखे हैं वह सब आपके पातिज्रन का प्रभाव है। जब खियाँ तुम्हारे नाम मात्र के सारण से अटल सोभाग्य प्राप्तकर पातिव्रत में लीन हो, संसार की सम्पूर्ण सिद्धियों को बना और मिटा सकती हैं,
लेखक | Gita Press |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 307 |
Pdf साइज़ | 11.2 MB |
Category | धार्मिक(Religious) |
हिन्दुओ के व्रत और त्यौहार – Hinduo Ke Vrat Aur Tyohar Book/Pustak Pdf Free Download