हिंदी का विवरणात्मक व्याकरण – Hindi Grammar Book/Pustak PDF Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
बावश्यकताओों सया कथन-कैलियों के भाषाों के शब्दों, प्रश्नों, कहावतों, मुहावरे, अर्थों में (लिपि-चिह्नों में भी) परिवर्तन होता रहता है, किन्सु यह परिवर्तन बहुत ही धीरे-धीरे होता है ।
इस परिवर्तन को हम एक ही जन्म में प्रावः आसानी से नहीं पकड़ पाते । एक ही समय के पहले- लिखे और बाद लोगों की भाषा में चोड़ा-बहुत अन्तर हुआ ही करता है।
विज्ञान, कार्यालय, विधि, रेडियो समाचार, विज्ञापन,अध्यापन की भाषा में जो अंतर देखने में बाता है, उसे सैली-भेद या प्रयुक्ति वेद कहा जाता है।
हिन्दी की दो प्रमुख शैलियाँ प्रचलित है-1. साहित्यिक बैली 2. बोलचाल की शैली। अंग्रेजी, न्यू के प्रभाव से दो और पीलिया प्रचलित हो पनी है
भाषा कभी भी सीली-सुनत नहीं हो पाती, अतः व्याकरण में भाषा-विश्लेषण के समय मै तो-नेट से आए भाा परिवर्तन को नकारा नही जा सकता ।
व्याकरण-भाषा के फलों तथा प्रयोगों में तमानता, स्मृता तथा मानकता जाने के लिए और उन का ठीक- छींक विसलेसन- वित्तेन करने के लिए कुछ नियमों का होना मन कार्य है ।
व्याकरण इन्हीं नियमों का निरयग करनेवाला पास्तर है । अभिव्यक्ति-स्तर पर भाषा के दो मुख्य रूप (रचित, लिखित) होते हैं । भाषा का कथित रूप नय म और शक्ति का नाँ से बनता है ।
इन्टी स्यनियों और वनों से बाह्य, पय, पदबंध, उपवाक्य और वाक बनाते हैं । शम्दो पदीं, यदवन्धों और वाक्यों में गुस्सा और प्रयोगों के नियमों का बोध वारानेवाला शास्त्र व्याकरण (वि+आ+ करण वी भौति [समझाना ) कहते है
व्याकरण के नियमों से अनुशासित रहने पर भाषा के क्यों और प्रयोगों में स्थिरता, समानता तथा शुद्धता बनी रहती है किंतु कुछ शताब्दियों के बाद भाषा के प्रिवर्तित रूप के अनुसार व्याकरण के नियम |
लेखक | लक्ष्मीनारायण शर्मा – Lakshminarayan Sharma |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 616 |
Pdf साइज़ | 174 MB |
Category | विषय(Subject) |
हिंदी का विवरणात्मक व्याकरण – Hindi Grammer Book/Pustak PDF Free Download