गीता माधुर्य – Gita Madhurya Book Pdf Free Download
गीता माधुर्य
इस प्रकार दुर्योधनकी चालाकीसे, राजनीतिसे भरी हुई तीखी बातोंको सुनकर द्रोणाचार्य चुप रहे, कुछ होले नहीं ।इससे दुर्योधन अप्रसन्न हो गया । द्रोणाचार्य चुप क्यों रहे?
दुर्योधनने द्रोणाचार्यको उकसानेके लिये चालाकीसे राजनीतिको जो बातें कहीं, वे बातें द्रोणाचार्यको बुरी लगीं । उन्होंने यह सोचा कि अगर मैं इन बातोका खण्डन करू तो युद्धके मौकेपर आपसमें खटपट हो जायगी, जो उचित नहीं है।
मैं इन बातोंका अनुमोदन भी नहीं कर सकता; क्योंकि यह चालाकीसे बातचीत कर रहा है। सरलतासे बातचीत नहीं कर रहा है।
इसलिये द्रोणाचार्य चुप रहे । दुर्योधनने ऐसी बातें कब कहीं और क्यों कहीं? दुर्योधनने व्यूहाकार खड़ी हुई पाण्डवसेनाको देखकर गुरु द्रोणाचार्यको उकसानेके लिये ऐसी बातें कहीं।
इसका वर्णन सञ्जयने धृतराष्ट्र के प्रति किया है सञ्जयने यह वान धृतराष्ट्रके प्रति क्यों किया ?
जब धृतराष्ट्रने युद्धको कथाको आरम्भसे विस्तारपूर्वक सुनना चाहा, तब सञ्जयने ये सब बातें धृतराष्ट्रसे कहीं। धृतराष्ट्रने सञ्जयसे क्यों सुनना चाहा?
दस दिन युद्ध होनेके बाद सञ्जयने अचानक आकर धृतराष्ट्रसे यह कहा कि “कौरव-पाण्डवोंके पितामह, शान्तनुके पुत्र भीष्म मारे गये (रथसे गिरा दिये गये) ।
जो सम्पूर्ण योद्धाओं में मुख्य और सम्पूर्ण धनुर्धारियोंमें श्रेष्ठ थे, ऐसे पितामह भीष्म आज शर-शय्यापर सो रहे हैं।
इस समाचारको सुनकर धृतराष्ट्रको बड़ा दुःख हुआ और वे सञ्जय बोले-उस समय व्यूह-रचनासे खड़ी हुई पाण्डंवोंकी सेनाको देखकर राजा दुर्योधन द्रोणाचार्यके पास गया. और उनसे कहा कि “हे आचार्य !
आप अपने बुद्धिमान् शिष्य द्रुपदपुत्र धृष्टद्युम्नके द्वारा व्यूह रचनासे खड़ी की हुई पाण्डवोंकी इस बड़ी भारी सेनाको देखिये ॥ २ ३ ॥ पाण्डवोंकी सेनामें मैं किन किनको देखें दुर्योधन?
पाण्डवोंकी इस सेनामें बड़े-बड़े शूरवीर हैं, जिनके बहुत बड़े-बड़े धनुष हैं तथा जो बलमें भीमके समान और युद्धकलामें अर्जुनके समान हैं। सय-के-सब महारथी ॥
लेखक | रामसुख दास-Ramsukh Das |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 158 |
Pdf साइज़ | 7.8 MB |
Category | धार्मिक(Religious) |
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