ओशो का गीता दर्शन: न जनम न मृत्यु – Geeta Darshan Book/Pustak PDF Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
बूलरे अनुवाद शिवाय कके में, मेरा अनुभव नहीं है दूसरे का अनुप्रयोग सकता है इसअ्में उपयोगी हो सकताई-पास अर्थ में नहीं कि उस पर भरोसा करल, विश्वास करल अबदालको जो अर्थ पुकुष मोग हो जाएगा;
हंस बनेगा बेगा-इस अर्थ मे उपयोगी हो सकता है कि दूसरे ने योजना है, उसे जानने की संभावना का द्वार मेरे लिए भी खुलता है जो दूसरे को हो है, वह मेरे लिए भी हो सकता है, इसका आश्वासन मिलता है।
जो दूसरे के लिए हो सका, वह क्यों मेरे लिए नहीं हो सकेगा, इसकी प्रेरणा जो दूसरे के लिए हो सका, वह मेरे भीतर किपी ई प्यास को जगाने का कारण हो सकता है।
लेकिन बस इतना ही जानना तो मुझे ही पड़ेगा जानना मुझे ही पड़ेगा, जीना मुझे ही पड़ेगा, उस सागर-तट तक मुझे ही पहुंचना पड़ेगा ।
एक और मजे की बात है कि घर में जो कुएँ है वे बनाए हुए होते है, सागर बनाया हुआ नहीं होता। आपके पिता ने बनाया होगा घर का कुआं, उनके पिता ने बनाया होगा, किसी ने बनाया होगा।
जिसने बनाया होगा, उसे एक सीक्रेट का पता है, उसे एक राज का पता है कि कहीं से भी जमीन को तोड़ो, सागर मिल जाता है। कुआं है क्या? जस्ट ए होल, सिर्फ एक छेद है।
आप यह मत समझना कि पानी कुआ है। पानी तो सागर ही है, कुआ तो सिर्फ उस सागर मे झांकने का आपके आँगन में उपाय है। सागर तो है ही नीचे फैला हुआ। वही है।
जहाँ भी जल है, वहीं सागर है। हो, आपके आंगन में एक छेद खोदलेते है आप। कुएं से पानी नहीं खोदते, कुएं से सिर्फ मिट्टी अलग करते है।
लेखक | ओशो-Osho |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 350 |
Pdf साइज़ | 21.6 MB |
Category | मनोवैज्ञानिक(Psychological) |
ओशो का गीता दर्शन: न जनम न मृत्यु – Gita Darshan Book/Pustak PDF Free Download