भारत का प्रथम स्वतंत्र संग्राम – The First Indian War of Independence (1857-59) In Hindi Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
हिन्दुस्तान में जितने भी गृहयुद्ध छिपे हैं, बारूपण हुए है क्रान्तियां हुई हैं, श को विदेशियों द्वारा जीता गया है, अकाल पढ़े हैं-ने सब चीें क्परसे दखने में चाहे जितनी विविध रूप से अटिल जल्दी-जल्दी होने वाली भौर सायानापी मालूम होती हो,
किन्तु वे उसकी सतह से नीचे गही गयी है। पर इगरलंड ने भारतीय समाज के पूरे दावे को ही तौर डाला है और उसके पुननिर्माण के कोई लक्षण अभी तक दिसलामी नहीं दे रहे है।
उसके पुराने संसार के इस तह उससे छिन जाने और किसी नये संसार के प्राप्त न होने से हिन्दू (हिन्दु- स्तानी-अनु.) के वर्तमान दुतों में एक विशेष प्रकार की उदासी जुड जाती है. मौर, विटेन के पागन के नीचे, हिन्दुस्तान अपनी समस्त प्राचीन परण्परागो तथा अपने सम्पूर्ण पियते इतिहास से भर जाता है ।
एशिया में अनादि काल से आम तौर पर सरकार के केवल तीन दिमाग होते बाये है : वित्त का, अषया देश के अन्दर सूट का विभाग मुद्ध का, अपवा माहर की कूट का विभाग और, मन्त मे, सार्वजनिक निर्माण का विभाग ।
अलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों के कारण– विशेषकर इस कारण कि सहारा से शेकर बरम. ईरान, भारत और तारी होते हुए एशिया के सससे दे पारों दक विशात रेगिस्तानी के लिए हुए हैं-
प्रई से का का और मानव द्वारा निर्मित नही तथा जल ह की ध्यवरथा के द्वारा शिवाई ही है। मिस और भारत की ही तरह मेसोपोटामिया, ईरान, मादि में भी बाग बनाकर पानी को रोकने और फिर उससे जयीन को उपजाऊ बनाने की प्रथा है।
नहरों में पानी पहुंचाते रहने के लिए ऊंचे स्तर से हाम खटाया जाता है। पानी के मिलजुल कर और शिकायत के साथ सर्व करने को इस मुनियादी मावादरता ने पश्चिम में निजी उद्योग को स्वेच्छा से सहयोग का रास्ता अपनाने के लिए
लेखक | कार्ल मार्क्स-Karl Marx |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 280 |
Pdf साइज़ | 5.8 MB |
Category | इतिहास(History) |
भारत का प्रथम स्वतंत्र संग्राम – The First Indian War of Independence (1857-59) In Hindi Book/Pustak Pdf Free Download