राजतरंगिणी कल्हण कृत – Rajatarangini Book PDF Free Download
लेखक कल्हण और उसकी कृति
रचना : कल्हण के सम्बन्ध में जो कुछ सामग्रो बीसवी शताब्दी के प्रथम दशक तक प्राप्त हुई है, उससे अधिक इस दिशा में प्रगति नहीं हो सको है ।
राजतरंगिणी, अर्धनारीश्वर स्तोत्र तथा जय सिंहाभ्युदय काव्य कल्हण से सम्बन्धित किये जाते है । राजतरंगिणी निस्सन्देह कल्हण की रचना है।
अर्ध नारीश्वर स्तोत्र के १८ श्लोकों में सात श्लोक राजतरंगिणी के सात तरंगों के मंगलाचरणो से लिये गये हैं। जयसिंहाभ्युदय काव्य अभी तक प्रकाश में नहीं आया है।
राजतरंगिणी के इतिपाठ तथा स्तोत्र के इतिपाठ में मौलिक अन्तर है। राजतरंगिणों के इतिपाठ में कल्हण ने अपने को महाकवि नही लिखा है। केवल अष्टम तरंग के इतिपाठ में महाकवि शध्द आता है ।
परन्तु इसका पाठभेद अनेक प्राचीन प्रतियों में मिलता है। जिनमें महाकवि दशब्द नहीं दिया गया है। प्रतीत होता है किसी श्रद्धालु लिपिक ने महाकवि शब्द उसके काव्य के विशाल रूप को देखकर अन्त में दे दिया है।
सुयोग्य, विनयी एवं प्रतिभाशाली कवि चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो, वह अपनी लेखनी से अपने लिए महाकवि पद का प्रयोग नहीं करेगा। यह आत्मश्लीधा हो जाती है ।
अर्धनारीश्वर स्तोत्र उसको स्वतन्त्र रचना है अथवा उसके श्लोको का संग्रह मात्र है अथवा किसी ने उसके पदों का संकलन कर उसे अर्धनारीश्वर स्तोत्र को संज्ञा दे दी है। यह विचारणीय विषय है।
जयसिंहाभ्युदय काव्य उपलब्ध नहीं है। केवल रत्नाकर के सार-समुच्चय में कल्हण की इस रचना का उल्लेख मिलता है। कल्हण की सूतियों के संग्रह का भी उल्लेख मिलता है।
किन्तु वह राजतरंगिणी के आठों तरंगों के सुभाषितों का संग्रह मात्र है। यदि जयसिंहाभ्युदय काव्य प्रकाश में आ जाय तो कल्हण के जीवन पर और प्रकाश पड़ सकता है ।
स्तोत्र तथा सूक्ति संग्रह का मूल स्रोत राजतरंगिणी हैं। स्तोत्र में दिये गये इतिपाठ में चम्पक महामात्य का नाम नहीं है। राजतरंगिणी के आन्तरिक लेखों के आधार पर अनुमान एवं निष्कर्ष निकाल कर, कल्हण के जीवन पर कुछ और प्रकाश डाल सकते है ।
वंश : राजतरंगिणी के इतिपाठ से कल्हण के पिता का नाम महामात्य चम्पक प्रभु होना सिद्ध होता है। यद्यपि अर्धनारीश्वर स्तोत्र के इतिपाठ में कल्हण के वंश, पिता, पद, देशादि का नाम नहीं दिया गया है।
इतिपाठ के अतिरिक्त कल्हण के वर्णन ( रा० त० ७ : ९५४, १११७, १११८, ८:२३६५ ) से प्रमाणित हो जाता है कि चम्पक कल्हण का पिता था । वह महामात्य था। राजमन्त्री था। समाज में उच्च स्थान प्राप्त था।
कल्हण अपने चाचा कतक के विषय मे भी सूचना देता है । ( रा० त० १११७-१११८ ) वह चम्पक का कनिष्ठ भ्राता था । कनक काश्मीर राज हर्ष का प्रियपात्र था । शिष्य था।
राजा से सपरिश्रम गान विद्या सीखा था। राजा हपं सर्वश्रेष्ठ गायक, गीतकार संगीत शास्त्र पारंगत था। कनक के परिश्रम एवं संगीत में श्रेष्ठता प्राप्त करने के कारण, राजा हर्प ने उसे एक लाख स्वर्ण मुद्रा दिया था। कनक का राजा पर स्नेहयुक्त प्रभाव था
समान दिनुवार सुन्दर हो गया नही हो सस्ता और स ती सुन्दर मही हो सकता। उसने उत्तम बनुवाद को मौलिक पका के समान माना है। यह मौलिकता किटरा के सात उमर म्यान में परिवति होती है।
रखी मार सीब एपद शुक्ल राजनुदित माला बन्यो वायद के ‘करणा’ में भौतिकशाप दर्शन होता है। श्री रामचन वा मनुवार दिन रामतान’ थी आावराबाल की प्रभित्र पुस्तक हिन्दू पौमिटी’मा अनुवाद है।
बोनापावाल स्यबोकार किया था कि अनुसार उनको बुल पुस्तक से भी उत्तम है। ये कहना है कि अनुसार मूल का पुनः खर्जन नही है किन्तु मूल की अभिव्यकि के गद्य अभिव्यक्ति का मन होता है। विकव में सबसे अधिक मदित पुस्तक माइबिल है।
यश अनुवाद दूसरी ताब्दी ईसय ब निसको अनेक भापानी में होता অता जा पा है। पााबित की रोची पानिक प्रयो में अपनायी जा सकती है। परन्तु राजतरीनिशी गदा काम है. ऐतिहासिक ग्रन्थ है इसके अनुद को ीकी का्यमय एवं ऐतिहासिक दोनी चाहिये।
साद सर्वधी दोयम दस, तीन सपा नीतीताराम पण्डित का अंग्रेजी अनुवाद जारमा है। यो यो मैया दरा का अनुवाद सारानुवाद है। सर्पयो तीन तया पति ने प्रत्येक सोम मतग मला अनुवाद किया है। हीनही अनुपात को स्पट करने के लिये चीन-चार इलोकों का अनुवाद एक साथ कर दिया है।
धी रीन का अनुवाद गम्दानुनाद तथा अनुगाय के साथ बोषणग्य है। पी पण्डित का जमाद साहितयक है। उसमें भाषा का प्रवाह है। बाहण के साकारों, उपना एन सो को भजी भाषा में मकले का प्रयास किया गया है।
प्रातुन अनुवाद पौसी में प्रत्येक पर जिसमें प्रिया मिल गयी है उसका अभाद एक ही पद में किया गया है। यदि किया दूसरे पद में मिली है तो पद टोयकर अनुवाद किया गया है। यहाँ काहन में युलम्, टिकम् एवं सुनाम लिया है यहाँ दो, तीन त
लेखक | कल्हण |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 984 |
Pdf साइज़ | 34.4 MB |
Category | History Books PDF |
राजतरंगिणी – Kalhan Rajatarangini Book/Pustak Pdf Free Download