शिक्षा प्रणाली – Indian Education System Book PDF Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
मेरे दिल उन विद्यार्थियोंके लिए गहरा सम्मान और प्रेम है जिन्होंने देशकी आवाजको सुना। परन्तु उनकी संख्या क्या है ?
मैं इनको रेतके तोदों में सोनेके कणोंकी तरह समकता हूँ परन्तु अब तो कॉलेजों के विद्यार्थी एक ओर हो गए हैं इनपर देशकी या कांग्रेसकी आबाज़ या माकारोंका कोई प्रभाव ही नहीं होता ।
वर्तमान शिक्षाका गिराने वाला विपैलो परिणाम स्पष्ट तौरपर हमारी आंखों के सामने आ जाता है जब वर्तमान अनन्त कालिजोंकी फैकृरियां विशेष प्रकारके नौजवान हमारे देशमें पैदा कर रही हैं।
और यदि ये सब नौजवान अपनी शिक्षाके अनुरागी होने से अपनी जातिकी स्वतन्त्रता और उन्नतिमें किसी प्रकारका भाग लेनेवाले नहीं हो सकते तो आगे किस पीढ़ीपर आशाएं होंगी ?
मैं निवेदन करता है और इसपर यल देना चाहता हूं कि हमें इन नौजवान विद्यार्थियोंके मुकाबिलेपर देशके साथ स्नेह रखनेवाले और अपनी जाति और देशपर बलिदान होनेवाली सन्तति पैदा करनेकी आवश्यकता होगी जो सबके अन्दर आत्माका काम देवी ।
चट् सन्स तो कहांसे पैदा होगी इसके लिये भी कहीं न कहीं तो कारखाना स्थापित करना चाहिए । हमारा जातीय-विश्वविद्यालय इस कारखाने का काम देगा।
निस्सन्देह चित्र में जोश आता है जिस समय दम अपने अल्पायु नवयुवकों को स्वयंसेवक बनकर जेल जानेके लिये उद्यत पाते हैं।
में उनकी प्रतिष्ठा करने में किसीसे कम नहींयदि हम इतने सौभाग्यशाली हों कि अंग्रेजी सरकार हमपर कृपालु हो जाय, या यदि महात्मा गान्धीके सदाचारके दबावका जादू सरकारपर प्रभाव कर जाय और हमको स्वगज्यका बड़ा भाग मिल जाय तथ तो हमारी सारी कठिनाइयां स्वयं ही हळ हो जायें।
और शायद हमें आप लोगोंसे चन्दे मांग मांग कर किसी शिक्षा सम्बन्धी संस्थाके बनाने की आवश्यकता न पड़े ।यह समय तो बड़ा सङ्कटमय था।
लेखक | परमानंद जी-Parmanandaji |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 134 |
Pdf साइज़ | 9 MB |
Category | विषय(Subject) |
शिक्षा प्रणाली – Shiksha Pranali Book Pdf Free Download