माँ दुर्गा चालीसा संपूर्ण पाठ | Durga Chalisa PDF In Hindi

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दुर्गा चालीसा पाठ के फायदे और पूजा विधि – Durga Chalisa PDF Free Download

Image of Ma Durga with is vehicle tiger on black ground, Title with Sri Durga Chalisa In Hindi

मा दुर्गा को शक्ति की देवी के रूपमें पूजा की जाती है। नवरात्री में भारत के सभी जगहों पर भिन्न भिन्न तरीके से माता की पूजा आराधना की जाती है। जैसे गुजरात में नवरात्री गरबा करके, ग्राम्य विस्तारोमें लोग वेश का प्रदर्शन करते है, जिसमे रामायण और माता दुर्गा द्वारा महिसासुर वध मुख्य है।

माँ दुर्गा को महिषासुर वध के लिए जाना जाता है, इस वध की कथा को महिषासुरमर्दिनी नामक काव्य में सम्पूर्ण वर्णनकिया है। जिस तरह देव का कष्ट महिसासुर था उसका वध करके कष्ट दूर किया वेसे ही दुर्गा माँ अपने भक्तो के कष्ट दूर करते है।

श्री दुर्गा चालीसा Lyrics अर्थ सहित

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥

सुख प्रदान करने वाली मां दुर्गा को मेरा नमस्कार है। दुख हरने वाली मां श्री अम्बा को मेरा नमस्कार है। आपकी ज्योति का प्रकाश असीम है, जिसका तीनों लोको (पृथ्वी, आकाश, पाताल) में प्रकाश फैल रहा है।


शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥1॥

आपका मस्तक चन्द्रमा के समान और मुख अति विशाल है। नेत्र रक्तिम एवं भृकुटियां विकराल रूप वाली हैं। मां दुर्गा का यह रूप अत्यधिक सुहावना है। इसका दर्शन करने से भक्तजनों को परम सुख मिलता है।

तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

संसार के सभी शक्तियों को आपने अपने में समेटा हुआ है। जगत के पालन हेतु अन्न और धन प्रदान किया है। अन्नपूर्णा का रूप धारण कर आप ही जगत पालन करती हैं और आदि सुन्दरी बाला के रूप में भी आप ही हैं।


प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥2॥

प्रलयकाल में आप ही विश्व का नाश करती हैं। भगवान शंकर की प्रिया गौरी-पार्वती भी आप ही हैं। शिव व सभी योगी आपका गुणगान करते हैं। ब्रह्मा-विष्णु सहित सभी देवता नित्य आपका ध्यान करते हैं।

रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥

 आपने ही मां सरस्वती का रूप धारण कर ऋषि-मुनियों को सद्बुद्धि प्रदान की और उनका उद्धार किया। हे अम्बे माता! आप ही ने श्री नरसिंह का रूप धारण किया था और खम्बे को चीरकर प्रकट हुई थीं।


रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥3॥

आपने भक्त प्रहलाद की रक्षा करके हिरण्यकश्यप को स्वर्ग प्रदान किया, क्योकिं वह आपके हाथों मारा गया। लक्ष्मीजी का रूप धारण कर आप ही क्षीरसागर में श्री नारायण के साथ शेषशय्या पर विराजमान हैं।

क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥

क्षीरसागर में भगवान विष्णु के साथ विराजमान हे दयासिन्धु देवी! आप मेरे मन की आशाओं को पूर्ण करें। हिंगलाज की देवी भवानी के रूप में आप ही प्रसिद्ध हैं। आपकी महिमा का बखान नहीं किया जा सकता है।


मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥4॥

 मातंगी देवी और धूमावाती भी आप ही हैं भुवनेश्वरी और बगलामुखी देवी के रूप में भी सुख की दाता आप ही हैं। श्री भैरवी और तारादेवी के रूप में आप जगत उद्धारक हैं। छिन्नमस्ता के रूप में आप भवसागर के कष्ट दूर करती हैं।

केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजै॥

वाहन के रूप में सिंह पर सवार हे भवानी! लांगुर (हनुमान जी) जैसे वीर आपकी अगवानी करते हैं। आपके हाथों में जब कालरूपी खप्पर व खड्ग होता है तो उसे देखकर काल भी भयग्रस्त हो जाता है।


सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुँलोक में डंका बाजत॥5॥

हाथों में महाशक्तिशाली अस्त्र-शस्त्र और त्रिशूल उठाए हुए आपके रूप को देख शत्रु के हृदय में शूल उठने लगते है। नगरकोट वाली देवी के रूप में आप ही विराजमान हैं। तीनों लोकों में आपके नाम का डंका बजता है।

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

हे मां! आपने शुम्भ और निशुम्भ जैसे राक्षसों का संहार किया व रक्तबीज (शुम्भ-निशुम्भ की सेना का एक राक्षस जिसे यह वरदान प्राप्त था की उसके रक्त की एक बूंद जमीन पर गिरने से सैंकड़ों राक्षस पैदा हो जाएंगे) तथा शंख राक्षस का भी वध किया। अति अभिमानी दैत्यराज महिषासुर के पापों के भार से जब धरती व्याकुल हो उठी।


रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन र जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥6॥

तब काली का विकराल रूप धारण कर आपने उस पापी का सेना सहित सर्वनाश कर दिया। हे माता! संतजनों पर जब-जब विपदाएं आईं तब-तब आपने अपने भक्तों की सहायता की है।

अमरपुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नरनारी॥

हे माता! जब तक ये अमरपुरी और सब लोक विधमान हैं तब आपकी महिमा से सब शोकरहित रहेंगे। हे मां! श्री ज्वालाजी में भी आप ही की ज्योति जल रही है। नर-नारी सदा आपकी पुजा करते हैं।


प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्ममरण ताकौ छुटि जाई॥7॥

प्रेम, श्रद्धा व भक्ति सेजों व्यक्ति आपका गुणगान करता है, दुख व दरिद्रता उसके नजदीक नहीं आते। जो प्राणी निष्ठापूर्वक आपका ध्यान करता है वह जन्म-मरण के बन्धन से निश्चित ही मुक्त हो जाता है।

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो। काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥

योगी, साधु, देवता और मुनिजन पुकार-पुकारकर कहते हैं की आपकी शक्ति के बिना योग भी संभव नहीं है। शंकराचार्यजी ने आचारज नामक तप करके काम, क्रोध, मद, लोभ आदि सबको जीत लिया।


निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥8॥

उन्होने नित्य ही शंकर भगवान का ध्यान किया, लेकिन आपका स्मरण कभी नहीं किया। आपकी शक्ति का मर्म (भेद) वे नहीं जान पाए। जब उनकी शक्ति छिन गई, तब वे मन-ही-मन पछताने लगे।

शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

आपकी शरण आकार उनहोंने आपकी कीर्ति का गुणगान करके जय जय जय जगदम्बा भवानी का उच्चारण किया। हे आदि जगदम्बाजी! तब आपने प्रसन्न होकर उनकी शक्ति उन्हें लौटाने में विलम्ब नहीं किया।


मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें। मोह मदादिक सब बिनशावें॥9॥

हे माता! मुझे चारों ओर से अनेक कष्टों ने घेर रखा है। आपके अतिरिक्त इन दुखों को कौन हर सकेगा?  हे माता! आशा और तृष्णा मुझे निरन्तर सताती रहती हैं। मोह, अहंकार, काम, क्रोध, ईर्ष्या भी दुखी करते हैं।

शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला॥

हे भवानी! मैं एकचित होकर आपका स्मरण करता हूँ। आप मेरे शत्रुओं का नाश कीजिए। हे दया बरसाने वाली अम्बे मां! मुझ पर कृपा दृष्टि कीजिए और ऋद्धि-सिद्धि आदि प्रदान कर मुझे निहाल कीजिए।


जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ । तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥10॥

हे माता! जब तक मैं जीवित रहूँ सदा आपकी दया दृष्टि बनी रहे और आपकी यशगाथा (महिमा वर्णन) मैं सबको सुनाता रहूँ। जो भी भक्त प्रेम व श्रद्धा से दुर्गा चालीसा का पाठ करेगा, सब सुखों को भोगता हुआ परमपद को प्राप्त होगा।

देवीदास शरण निज जानी। कहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

हे जगदमबा! हे भवानी! ‘देविदास’ को अपनी शरण में जानकर उस पर कृपा कीजिए।

॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥

लेखक
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 10
PDF साइज़1.5 MB
Categoryधार्मिक(Religious)

माँ दुर्गा के बारे में

माँ दुर्गा आदि-शक्ति का रूप हैंं। उन्‍हें कई नामों से याद किया जाता है।

दुर्गा मां अपने भक्तों के साथ वैसा ही व्यवहार करती है जैसे एक मां अपने बच्चों के साथ करती हैंं। वह प्‍यार से देखभाल करती हैं लेकिन आवश्यकता पड़ने पर वह गुस्सा भी हो जाती हैं।

हिंदू पौराणिक कथाओं में मां दुर्गा को भयभीत योद्धा की तरह राक्षस महिषासुर के वध के रूप में याद किया जाता है।

चैत्र नवरात्रि एक प्रमुख त्योहार है जिसे पूरे भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है। नौ दिन तक चलने वाली नवरात्री में मां दुर्गा के अलग अलग रूपों की पूजा कर भक्त माता को प्रसन्न करते हैं।

कहते हैं मां दुर्गा भक्तों के दुख को दूर कर देती हैं। ऐसे में नवरात्री में भक्त दिनभर व्रत रखते हैं और शाम को उनकी आरती उतार उन्‍हें भोग लगाते हैं। नवरात्री में आरती के साथ-साथ दुर्गा चालीसा का भी पाठ करते हैं।  

देवी दुर्गा को हिंदू धर्म के सबसे शक्तिशाली देवताओं में से माना जाता है। वह देवी या शक्ति के नाम से भी जानी जाती हैंं जिसका हिंदी में अर्थ ‘महिला’ और ‘शक्ति’ है।

संस्कृत में दुर्गा शब्द का अर्थ है ‘शक्तिशाली’ जो इस तथ्य का प्रतीक है कि देवी दुर्गा शक्ति और नारीत्व का प्रतीक हैं।

साथ ही देवी दुर्गा को दुर्गति नाशिनी के रूप में संदर्भित किया जाता है जो दुख को दूर करने वाली होती हैंं।

मां दुर्गा का सिर्फ नाम लेने से नकारात्मक शक्तियां और दोष जैसे अहंकार, ईर्ष्या, घृणा, क्रोध, लालच और स्वार्थ भाग जाते हैं।

देवी दुर्गा अपने भक्तों को शक्ति, धैर्य और ऐसे कई गुणों के साथ आशीर्वाद देती हैं, लेकिन वह उन चीजों को भी नष्ट करती हैं जिन्हें नष्ट करने की आवश्यकता होती है।

शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि या किसी भी अन्य शुभ अवसर पर मां दुर्गा की स्तुति के लिए दुर्गा चालीसा का पाठ करना उत्तम माना गया है। 

दुर्गा चालीसा की पूजा विधि इस प्रकार हैं

दुर्गा चालीसा का पाठ करने से पहले सूर्योदय से पूर्व स्नान करके साफ़ सुथरे वस्त्र धारण करें। अब एक लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछा कर, उस पर माता दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें।

सबसे पहले माता दुर्गा की फूल, रोली, धूप, दीप आदि से पूजा अर्चना करें। पूजा के दौरान दुर्गा यंत्र का प्रयोग आपके लिए लाभकारी साबित हो सकता है। अब दुर्गा चालीसा का पाठ शुरू करें।

दुर्गा चालीसा का पाठ करने के फायदे(Benefits)

मां दुर्गा को जल्‍द प्रसन्‍न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए हर किसी को हर रोज या फिर विशेष रूप से नवरात्रि में दुर्गा चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए।

अगर कोई दुर्गा चालीसा का पाठ पूरे मन से करता है तो उसके जीवन में समृद्धि और शांति के लिए दिव्य आशीर्वाद का आह्वान होना निश्चित है।

मां दुर्गा की पूजा चालीसा के बिना अधूरी मानी जाती है। अगर आप मां दुर्गा को प्रसन्न करना चाहती हैं तो श्री दुर्गा चालीसा का पाठ रोजाना करें।

मन होता है शांत

जो व्यक्ति प्रतिदिन दुर्गा चालीसा का पाठ करता है वह अपनी सफलता के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सक्षम होता है।

दुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक, भौतिक और भावनात्मक खुशी मिलती है। चालीसा के कंपन से भक्त का मन पॉजिटीव विचारों से भर जाता है जिससे मन शांत हो जाता है।

अगर आप अपने मन को शांत करना चाहती हैं तो रोजाना दुर्गा चालीसा का पाठ करें। बड़े-बड़े ऋषि भी मां दुर्गा चालीसा का पाठ करते थे, ताकी अपने मन को शांत रख सकें।

सकारात्मक शक्ति संचय

व्यक्ति को अधिक उत्साही महसूस होता है और खुद को आध्यात्मिक एनर्जी में भिगा हुआ पाता है और इसके साथ ही दुश्मनों से निपटने और उन्हें हराने की क्षमता भी विकसित होती है।

इसके अलावा इससे आप जुनून, निराशा, आशा, वासना और अन्य जैसे भावनाओं का सामना करने के लिए मानसिक शक्ति भी विकसित कर सकते हैं।

दुख दूर होते हैं

दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आप अपने परिवार को वित्तीय नुकसान, संकट और अलग-अलग प्रकार के दुखों से बचा सकती हैं।

भक्त की श्रद्धा से खुश होकर मां दुर्गा धन, ज्ञान और समृद्धि का वरदान देती हैं और यह सभी चीजें उनके घर में स्थायी निवासी होंगे। इसके अलावा यह बुरी नजर को दूर करने का सर्वोपरि उपाय है।

कष्टों का करता नाश है

दुर्गा चालीसा का नियमित रूप से पाठ करने से विभिन्न घातक रोग ठीक हो जाते हैं। साथ ही व्यक्ति लंबे समय तक जीवित रहेगा और इसलिए उसके प्रियजन भी उसके साथ रहेंगे।

Durga Chalisa In Hindi Audio Mp3 Free Download

सामूहिक दुर्गा चालीसा मंत्र गान का ऑडियो (15MB)

महिला गायिका के स्वर में त्वरित version

सम्पूर्ण दुर्गा चालीसा पाठ अर्थ सहित – Durga Chalisa Book/Pustak PDF Free Download

1 thought on “माँ दुर्गा चालीसा संपूर्ण पाठ | Durga Chalisa PDF In Hindi”

  1. It is said that by reciting Durga Chalisa people get rid of the many problems. By reciting this Goddess Durga gives wellness and prosperous life to the people.

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