दिवाली लक्ष्मी कथा पूजा विधि | Diwali Laxmi Puja PDF In Hindi

लक्ष्मी पूजा विधि और सामग्री सूची – Deepawali Pe Laxmi Puja Vidhi and Samagri List PDF Free Download

दीपावली व्रत

कार्तिक कृष्णा अमावस्या को समस्त भारत में दीपावली का त्यौहार बड़े ठाठ-वाट से मनाया जाता है। यह वैश्य जाति का महानतम त्यौहार है। इसलिये नाना प्रकार से घर और दुकानों को सजाकर रात्रि को रोशनी की जाती है और भगवती लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा के साथ-साथ बही बसनों का पूजन किया जाता है।

इसी दिन भगवती लक्ष्मी जी समुद्र से प्रकट हुई थीं और इसी दिन राजा बलि को पाताल का राजा बनाकर वामन भगवान ने उसकी ड्योढ़ी पर रहना स्वीकार किया तथा इसी दिन रामचन्द्र जी ने रावण को जीतकर सीता और सेना सहित अयोध्या में प्रवेश किया था एवं इसी दिन राजा वीर विक्रमादित्य ने सिंहासन पर बैठकर नवीन संवत् की घोषणा की थी।

अतः इन सब कारणों को लेकर इस दिन भारी उत्सव मनाया जाता है और श्री लक्ष्मी जीं गणेश जी के सहित सव देवताओं का पूजन करते हुए सुख सम्पत्ति की भगवान से याचना की जाती है।

श्री महालक्ष्मी जी पूजन सामग्री एवं विधि

पूजन सामग्री: पान, इत्र, दूध, धूप, कर्पूर, दियासलाई, नारियल, सुपारी, रोली, घी, लालवसा, मेवा, गंगाजल, फल, लक्ष्मी-प्रतिमा, कलावा, रुई, सिंदूर, शहद, गणेश-प्रतिमा, फूल, दूव, दही, दीप, जल पात्र, मिठाई, तुलसी।

विधि:

बाजोठ पे माता लक्ष्मी की मूर्ति की स्थापना करे, उसके साथ चांदी के दागीने, सिक्के , दूध , पंचामृत और प्रसाद साथ में रखे. मूर्ति के दोनों तरफ दिए जलाये. दाहिनी ओर घी और बाहिनी ओर तेल का दिया जलाए.

देव को फूलों से बिराजमान करे . उसके बाद महालक्ष्मी स्तोत्रं का उच्चारण करें. एक थाली में कंकू से स्वस्तिक बनाकर उस कंकू को वर्ष भर सुरक्षित रखें.

एक थान में या भूमि शुद्ध करके नवग्रह बनाए। रुपया, सोना, चांदी, श्री लक्ष्मी जी, श्री गणेश जी व सरस्वती जी, श्री महेश आदि देवी-देवता को स्थान दें।

यदि कोई धातु की मूर्ति हो तो उसको साक्षात रूप मान कर पहले दूध, फिर दही से, फिर गंगाजल से स्नान कराके वस्त्र से साफ करके स्थान दें और स्नान करायें। दूध, दही व गंगाजल में चीनी बताशे डालकर पूजन के बाद सबको उसका चरणामृत दें। घी का दीपक जलाकर पूजन आरम्भ करें।

श्री लक्ष्मीजी की कहानी

एक साहूकार के बेटी थी। वह हर रोज पीपल सींचने जाती थी। पीपल में से लक्ष्मी जी निकलती और चली जातीं। एक दिन लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी से कहा कि तू मेरी सहेली बन जा। तब लड़की ने कहा मैं अपने पिता जी से पूछकर कल आऊंगी।

घर जाकर पिताजी को सारी बात कह दी तो पिताजी बोले- वह तो लक्ष्मी जी हैं। अपने को क्या चाहिए, बन जा। दूसरे दिन लड़की फिर गई।

जब लक्ष्मी जी निकल कर आई और कहा सहेली बन जा तो लड़की ने कहा बन जाऊंगी और दोनों सहेली बन गई। लक्ष्मी जी ने उसको खाने का न्योता दे दिया।

घर आकर लड़की ने अपने बाप से कहा कि मेरी सहेली ने मुझे खाने को न्योता दिया है। तब बाप ने कहा कि सहेली के जीमने जाइयो पर जरा संभाल कर जाइयो।

जब वह लक्ष्मी जी के याहं जीमने गई तो लक्ष्मी जी ने उसे शाल दुशाला ओढ़ने के लिए दिया. रुपये परखने के लिए दिये, सोने की चौकी, मोने की थाली में छत्तीस प्रकार का भोजन करा दिया।

जीम कर जब वह जाने लगी तो लक्ष्मी जी ने पल्ला पकड़ लिया और कहा कि मैं तो तेरे घर जीमने जाऊंगी। तो उसने कहा आ जाइयो। घर जाकर चुपचाप बैठ गई। तब बाप ने पूछा कि बेटी सहेली के यहां जीम कर आई है और उदास क्यों बैठी है?

तो उसने कहा पिताजी मेरे को लक्ष्मी जी ने इतना दिया, अनेक प्रकार के भोजन कराए परन्तु मैं कैसे जिमाऊंगी? अपने घर में तो कुछ भी नहीं है। फिर बाप ने कहा कि जैसा होगा जिमा देंगे परन्तु तु गोबर मिट्टी से चौका देकर सफाई कर ले। चार मुख वाला दीया

जलाकर लक्ष्मी जी का नाम लेकर रसोई में बैठ जाइयो । लड़की सफाई करके लड्डू लेकर बैठ गई। उसी समय एक रानी नहा रही थी। उसका नौलखा हार चील उठा कर ले आई और उसका लड्डु ले गई और वह नौलखा हार डाल गई।

बाद में वह हार को तोड़कर बाजार में गई और सामान लाने लगी तो सुनार ने पूछा कि क्या चाहिए। तब उसने कहा कि सोने की चौकी, सोने का थाल, शाल, दुशाला दे दें, मोहर दें और सारी सामग्री दें।

छत्तीस प्रकार का भोजन हो जाए, इतना सामान दें। सारी चीजें लाकर बहुत तैयारी करी और रसोई बनाई तव गणेश जी से कहा कि लक्ष्मी जी को बुलाओ। तो आगे-आगे गणेश जी और पीछे लक्ष्मी जी आई।

उसने फिर चौकी डाल दी और कहा सहेली चौकी पर बैठ जा। जब लक्ष्मी जी ने कहा सहेली चौकी पर तो राजा रानी भी नहीं बैठे, कोई भी नहीं बैठा तो उसने कहा कि मेरे यहां तो बैठना पड़ेगा, मेरे मां-बाप, भाई-भतीजे, मेरे पोते-बहुएं क्या सोचेंगी, पड़ोसन क्या सोचगी?

लक्ष्मी जी की सहेली बपनी थी, अट्ठाईस पीड़ियों तक यही पर रहना पड़ेगा। फिर लक्ष्मी जी चौकी पर बैठ गई। तब उसने बहुत खातिर की, जैसे लक्ष्मी जी ने की वैसे ही उसने करी। लक्ष्मी जी उस पर खुश हो गई और घर में खूब धन लक्ष्मी हो गई।

साहूकार की बेटी ने कहा कि मैं अभी आ रही हूँ। तुम यहीं बैठी रहना और वह चली गई। लक्ष्मी जी गई नहीं और चौकी पर बैठी रही। उसको बहुत धन-दौलत दिया। हे लक्ष्मी माना! जैसा तुमने साहूकार की बेटी को दिया वैसा सबको देना।

कहते सुनते हुंकारा भरते अपने सारे परिवार को दियो, पीहर में देना, ससराल में देना। बेटे. पोते को देना। हे लक्ष्मी माता! सबका दुख दूर करना, दरिद्रता दूर करना और सबकी मनोकामना पूर्ण करना। दीवाली के दूसरे दिन सब लोग धोंक खाओ। सारी औरतें अपनी सासुजी और नन्द को पैर छूकर रुपये देती जायें और साथ में लड्डू दें ।

लेखक
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 17
PDF साइज़8.1 MB
CategoryVrat Katha

Related PDFs

दिवाली लक्ष्मी पूजा विधि और सामग्री सूची – Diwali Laxmi Puja Vidhi and Samagri List PDF Free Download

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!