भाई दूज की कथा(कहानी) | Bhai Dooj Katha Hindi PDF

साल 2024 में भाई दूज 14 नवम्बर, मंगलवार के दिन है। यह मनाने का सबसे उत्तम समय दोपहर के 01:32 से 03:46 का है।

भाई बहनकी कहानी – Bhai Dooj Katha PDF Free Download

भातृ द्वितीया : भैया दूज कहानी

कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भैया दूज का पर्व मनाया जाता है। यों तो सारे भारत में इस पर्व की धूम रहती है, परन्तु महाराष्ट्र में माऊ बीज, गुजरात में भाई बीज, बंगाल में भाई फोटा व उत्तर प्रदेश में भ्रातृ द्वितीया के रूप में यह विशेष लोकप्रिय है।

लोग इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। यह सुखद अनुभूति का पर्व है। इस दिन जो भाई अपनी बहन के घर जाकर उसके हाथ का बना खाना ग्रहण करता है, वह धन-धान्य से परिपूर्ण रहता है।

कथा- सूर्य के पुत्र-पुत्री यम और यमी में बहुत प्रेम था परन्तु बाद में राज्यकार्य के कारण यम अपनी बहन यमी अर्थात् यमुनाजी को भुल गए। तब एक दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया को वहन ने भाई को निमन्त्रण भेजा।

यम उद्विग्न हो उठे, उन्हें वहन के टीके की याद आई। वे यमुना के घर पहुंचे, बहन बहुत प्रसन्न हुई। उसने भाई का टीका किया। टीके के बाद यम ने कुछ मांगने को कहा। बहन ने मांगा कि आज के दिन जो वहनें भाई का टीका करें, उनकी रक्षा होनी चाहिए।

भविष्योत्तर पुराण में इस कथा के अन्त में कहा गया है- “हे युधिष्ठिर! यमुना ने कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को ही अपने भाई को निमन्त्रित किया था।” अतः इस पर्व का नाम यम द्वितीया पड़ गया। इस दिन बहन के स्नेहपूर्ण हाथों से परोसा भोजन ग्रहण करना चाहिए।


भाई दूज का त्योहार भाई बहन के स्नेह को सुदृढ़ करता है। यह त्योहार दीवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में भाई-बहन के स्नेह-प्रतीक दो त्योहार मनाये जाते हैं – एक रक्षाबंधन जो श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

इसमें भाई बहन की रक्षा करने की प्रतिज्ञा करता है। दूसरा त्योहार, ‘भाई दूज’ का होता है। इसमें बहनें भाई की लम्बी आयु की प्रार्थना करती हैं। भाई दूज का त्योहार कार्तिक मास द्वितीया को मनाया जाता है। भैया दूज को भ्रातृ द्वितीया भी कहते हैं।

इस पर्व का प्रमुख लक्ष्य भाई तथा बहन के पावन संबंध व प्रेमभाव की स्थापना करना है। इस दिन बहनें बेरी पूजन भी करती हैं। इस दिन बहनें भाइयों के स्वस्थ तथा दीर्घायु होने की मंगल कामना करके तिलक लगाती हैं। इस दिन बहनें भाइयों को तेल मलकर गंगा यमुना में स्नान भी कराती हैं। यदि गंगा यमुना में नहीं नहाया जा सके तो भाई को बहन के घर नहाना चाहिए।

यदि बहन अपने हाथ से भाई को जीमाए तो भाई की उम्र बढ़ती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं। इस दिन चाहिए कि बहनें भाइयों को चावल खिलाएं।

इस दिन बहन के घर भोजन करने का विशेष महत्व है। बहन चचेरी अथवा इस अंक की ममेरी कोई भी हो सकती है। यदि कोई बहन न हो तो गाय, नदी आदि स्त्रीत्व पदार्थ का ध्यान करके अथवा उसके समीप बैठ कर भोजन कर लेना भी शुभ माना जाता है।

इस दिन गोधन कूटने की प्रथा भी है। गोबर की मानव मूर्ति बना कर छाती पर ईंट रखकर स्त्रियां उसे मूसलों से तोड़ती हैं।

स्त्रियां घर-घर जाकर चना, गूम तथा भटकैया चराव कर जिव्हा को भटकैया के कांटे से दागती भी हैं। दोपहर पर्यन्त यह सब करके बहन भाई पूजा विधान से इस पर्व को प्रसन्नता से मनाते हैं। इस दिन यमराज तथा यमुना जी के पूजन का विशेष महत्व है।

भैया दूज की पौराणिक कथा

भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का यमराज से करो। अपने नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा। कार्तिक शुक्ला का दिन आया।

यमुना ने यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया। यमराज ने सोचा सद्भावना से मुझे कि बुला मैं तो प्राणों को उस दिन फिर हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता।

बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया।

यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया।

यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे।

यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।

भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 17
PDF साइज़8.1 MB
CategoryVrat Katha

भैया दूज की कथा(कहानी) – Bhai Dooj Katha PDF Free Download

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!