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हरियाणा में आहार परंपरा – Haryana Special Food PDF Free Download
जौ और ज्वार से तैयार आहार
हरियाणा में आदिकाल से जौ की काश्त रबी की फसल के तौर पर और ज्वार की काश्त सावनी अथवा खरीफ की फसल के तौर पर होती रही है। ये फसलें ज्यादातर शीतकालीन और सावनी वर्षा पर निर्भर रहती हैं
लेकिन नहर और कुओं के पानी से सिंचायी सुविधाएं उपलब्ध होने पर इन फसलों की बिजायी और बढ़वार के लिये पानी लगाया जाता है। इन्हें पशु-आहार या चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
हरियाणा में विगत में गेहूं की खेती का रकबा ज्यादा नहीं होता था इसलिये लोग बाजरा, जौ और ज्वार को अन्न के रूप में प्रयुक्त करते थे। यह किसानों और गरीबों का भोजन भी होता था।
जौ, काफी पौष्टिक होती है। गेहूं की अपेक्षा इसमें रेशा और कुछ पौष्टिक तत्वों की मात्रा ज्यादा होती है। सामान्य तौर पर स्वस्थ मनुष्यों के अलावा जौ से तैयार रोटी, खिचड़ी और अन्य आहार मधुमेहग्रस्त व्यक्तियों लिये विशेष फायदेमंद होते है।
आयुर्वेद में जौ-अन्न से तैयार विशेष आहारों का उल्लेख मिलता है। दक्षिण हरियाणा में. बसने वाले अहीर लोग जौ से ‘घाट’ नाम का एक आहार तैयार करते हैं। इसी तरह जौ के दानों को भिगोकर पूरी तरह सुखा लिया जाता है।
चावल के आहार
हरियाणा में विगत में धान की काश्त इतनी भर होती थी कि त्यौहारों पर उबले चावल और खीर जैसे भोज्य पदार्थ तैयार किये जा सकें। दक्षिण भारत के राज्यों में बसने वाले लोगों ने धान
अनेक किस्मों से प्राप्त चावल का इस्तेमाल करके दर्जनों तरह के आहार तैयार करने में निपुणता हासिल की है। जिस तरह उत्तर-पश्चिमी भारत के राज्यों में गेहूं और बाजरा प्रमुख खाद्यान्न हैं
लेखक | रणबीर सिंह-Ranbir Singh |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 10 |
Pdf साइज़ | 1 MB |
Category | स्वास्थ्य(Health) |
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