दिल्ली सल्तनत – Delhi Sultanate History Book Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
में राजनीतिक एकता का अभाव था । हिमालय से कुमारी अन्तरीप तक समस्त देश इसके बाद कभी भी किसी एक हिन्दू राजा अथवा राजनीतिक नेता के केन्द्रीय शासन में न रहा। सातवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में जिस समय मुहम्मद साहब अपने धर्म का प्रचार कर रहे थे
उनके उत्तराधिकारी पूर्ण वेग से निकटवर्ती राज्यों को अपने अधीन कर रहे थे, उस समय हर्ष उत्तर-पश्चिमी भारत में एक विशाल साम्राज्य की नींव डाल रहा था ।
परन्तु इस राज्य में सम्पूर्ण. उत्तरी भारत भी शामिल न था । विन्ध्याचल पर्वत के दक्षिणी प्रदेश को जीत कर अपने राज्य में मिलाने की सारी कोशिशे,
जो हर्प ने कीं, वेकार हुई। इस महान् सम्राट की ६४७ ई. में, मृत्यु के बाद उसके साम्राज्य के टुकड़े हो गये और इसके बाद देश के छोटे-छोटे राजाओं में प्रभुता के लिए युद्ध आरम्भ हो गये। इस प्रदेश में ५० वर्ष से अधिक समय तक राजनीतिक अव्यवस्था फैली रही ।
आठवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में यशोवर्मन के उत्थान – स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। देश के बचे हुए भागों को भ स्वतन्त्र राजाओं ने आपस में बाँट लिया ।
इन राजाओं का मुख्य घ्येय सेनिक यश प्राप्त करना और एक दूसरे पर चढ़ाई करना था।
समस्त देश में ऐसी कोई केन्द्रीय सरकार नहीं थी जो पूरे देश के हित के लिए काम करती । सभी राज्य पूर्ण स्वतन्त्र और प्रभुत्व-सम्पन्न थे, उत्तर राजाओं ने आपस में बाँट लिया ।
इन राजाओं का मुख्य ध्येय सैनिक यश प्राप्त करना और एक दूसरे पर चढ़ाई करना था ।
समस्त देश में ऐसी कोई केन्द्रीय सरकार नहीं थी जो पूरे देश के हित के लिए काम करती ।
सभी राज्य पूर्ण स्वतन्त्र और प्रभुत्व-सम्पन्न थे, उत्तर पूरबी और उत्तर-पश्चिमी सीमाएँ छोटे-छोटे स्वतन्त्र राज्यों के अधीन थीं और संगठित होकर अपने देश की सीमाओं की रक्षा करने का किसी को भी ध्यान न था ।
लेखक | अशीर्वादिलाल श्रीवास्तव- Ashirvadilal Srivastav |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 452 |
Pdf साइज़ | 31 MB |
Category | इतिहास(History) |
दिल्ली सल्तनत (711 से 1526) – History of Delhi Sultanate Book Pdf Free Download