छन्द रामायण | Chhand Ramayan Book/Pustak PDF Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
विद्वानों की दृष्टि में छन्द रामायण
मैंने श्री महेशचन्द्र शुक्ल की काव्यकृति ‘छन्दरामायण’ की। पाण्डु लिपि का आद्योपांत अवलोकन किया। भारत मे रामकथा इतनी पिष्टपेषित तथा चबित चर्वण हैकि इसमें कुछ नया नहीं सोचा जा सकता,
परन्तु अन्दरामायण’ को पढ़कर मुझे अतीव हर्ष तथा परितोष हुआ क्योंकि इसमें अभिनय संस्थिति, नूतन प्रसंगोद्भावनायें तथा मौलिकता रोली की तरह विकीर्ण है।
इसकी सबसे बड़ी विशेषता इसकी भाषा में निहित है। ब्रजभाषा में लिखित होने पर भी इतनी सौम्य, शुचि, बोधगम्यता तथा लोको मुखी वृत्ति इसमें है कि यह जन-जन के कण्ठ में परिव्याप्त होने की सामर्थ्य रखती है।
इसकी भाषा की सरलता तथा सहजता इसे लोक प्रिय बनाने में अपनी अहम तथा प्रभावी भूमिका का निर्वाह करेगी। यद्यपि इसमें पारम्परिक स्वरूप अर्थात स्वीकृत / मान्यता प्राप्त काव्यशास्त्रीय छन्दों का उपयोग हुआ है जो कि लगभग ग्यारह स हैं,
परन्तु उनको भी ताजगी तथा वर्तमान प्रसंगानुकूलता विशेष दृष्टव्य है। इसमें लोकजीवन में परिव्याप्त रामकथा को ग्रहण करके, इसे जनकाव्य की स्थिति में परिणत किया गया है।
इसमें अनेकानेक नूतन सन्दर्भ तथा मोलिक काव्यांश को समाविष्ट करके, इसे राम काव्य की परिपूर्ति का स्वरूप मिला है। विभिन्न रामायणों से कथा संयोजित कर, इसे सर्वा गपूर्ण बनाने में विशेष सफलता मिली है ।
रामकथा तो अमृतकुम्भ है और गंगोत्री भी। इसमें सहस्रों वर्षो से रचनाकार आसन ग्रहण करके, युग धर्म का निर्वाह कर रहे हैं।इस कृति के द्वारा सचमुच रामरूया एवम् रामकाव्य को चरेवेत चरेवेति वाली स्थिति प्राप्त हुई है।
मुझे पूर्ण विश्वास हैकि रसिकवृन्द तथा मनीषीगण इसका हार्दिक स्वागत करेंगे और इसको अपनी चिरपरिचित कथा के नवल स्वरूप में पायेंगे । मामिकता तथा नैतिकता की इसमें मंजूषा है ।
लेखक | महेशचन्द्र शुक्ल-Mahesh Chandra Shukla |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 634 |
Pdf साइज़ | 11.3 MB |
Category | Religious |
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