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भारत का स्वतंत्रता संग्राम – Bhartiya Swatantrata Sangram PDF Free Download

स्वातंत्र्य संग्राम
अंग्रेज सैनिकों द्वारा निर्मम अत्याचार
भारतीय सशस्त्र राष्ट्रीय आन्दोलन में जो हिंसा भड़की थी, प्रायः इतिहासकार उसकी निन्दा करते हैं।
उनके मतानुसार विद्रोही सैनिकों ने भयानक, बीभत्स और घोर अत्याचार किये हैं।
पं. नेहरू के शब्दों में “कुछ विद्रोहियो ने अंग्रेजो की बेरहमी से कत्ल करके भी अपने काम पर धब्बा लगा लिया था।
इस पाशविक बर्ताव ने ही सम्भवतः हिन्दुस्तान के अंग्रेजों को कमर कसने के लिए जोश दिलाया।
उन्होंने उसी पाशविक ढंग से, बल्कि उससे सैकड़ों-हजारो गुना ज्यादा बदला ले लिया था । ……
अगर नाना साहब का बर्ताव बहशियाना और धोखेबाजी का था,
तो कितने ही अंग्रेज अफसर भी बहशीपन में उससे सैकड़ों गुना कही आगे बढ़ गये थे ।
साराश यह है कि भारतीय सैनिको ने अंग्रेजों पर अकथनीय अत्याचार किये और अंग्रेजों ने उन अत्याचारो का सैकड़ों-हजारों गुना ज्यादा भार तीयों से बदला लिया।
इन दोनो कथनों में सच्चाई नहीं है, बल्कि वस्तुस्थिति इसके विपरीत है।
इस प्रकार के अत्याचार तो प्रायः विप्लवकारी युद्धों में, राष्ट्रो और जातियों की ओर सबसे अधिक धर्म के नाम पर की जानेवाली लड़ाइयों में देखने को मिलते हैं।
इस प्रकार के अत्याचार होना तो सहज बात है।
परन्तु इन सब बातो के लिए स्वयं अग्रेज सैनिक अफसर और उनका शासन विधान ही जिम्मेदार ठहरता है।
कार्लमाक्र्स अंग्रेजो की शासन प्रणाली का विश्लेषण करते हुए दिनांक 16 सितम्बर 1857 के न्यूयार्क दैनिक ट्रिबून समाचार पत्र में प्रकाशित अपने एक लेख में लिखते हैं-
“अंग्रेजों के शासन की विशेषता इस बात से ही समझी जा सकती है कि शारीरिक यंत्रणा पहूँ चाना अंग्रेजों की वित्तीय-नीति का अभिन्न अंग रहा है।
मानव-इतिहास में प्रतिशोध नाम की भी कोई चीज होती है,
लेखक | सीलम वेंकटेश्वर राव-Seelam Venkateswara Rao |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 280 |
Pdf साइज़ | 4.8 MB |
Category | साहित्य(Literature) |
भारत का स्वतंत्रता संग्राम – Bhartiya Swatantrata Sangram PDF Free Download