ब्राह्मण मीमांसा – Brahman Mimansa Book Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
बोझ मेरे मस्तक पर आ पहा है, अतएव उसका पूरा होना एक मात्र आपकी अनुग्रह पर निर्भर हैं, पिता मुझपर ऐसी दया की जिये कि मैं अपनी ग्रन्थावलि द्वारा आप की श्राज्ञायों के अनुसार मात्र सम्मत व्यवस्था देख सक्कू, है परमात्मन् !
मेरे हाथ से किसी का युग़ न हो वरन् असहाय हिन्दू जाति के चरणरज की सेवा करने के योग्य में बन सकू, हे परम पूजनीय पिता !
शुद्ध जातियों के साथ व अछूत जातियों के साथ बड़ा ही अन्याय हो रहा है, पभो ! उन की सन्तानों को पेट भर कर खाना तो दूर रहा,
किन्तु रात दिन में एक वार भी पेट भर के चने भी चवने को नहीं मिलते हैं, तिम पर भी उन की स्त्रिये एक ही धोती में रात व दिन निकाल देती हैं, रात को निद्रा के समय आधी धोती बिछाती हैं तो थाधी ओोद़ लेती हैं, रात सब किसी के लिये आराम करने को है परन्तु हे प्रभो !
उन दीन हीन जातियों के लिये भराम तो कहां किन्तु चिना कौड़ी पैसे ठाकुर टुकरे, रईस जागीरदार श्रादिकों द्वारा बेगार में फांसी जाती हैं इन्कार करने पर जूतों से पिटती हैं,
सामने देखने पर काठ में ठोक दी जाती हैं, यह ही नहीं किन्तु ऐसी दीन अवस्था में वे हिंदुओं के कूर्वों पर भी चढ़ने नहीं दी जाती हैं,
कहां तक कह पभो !सामने देखने पर काठ में ठोक दी जाती हैं, यह ही नहीं किन्तु ऐसी दीन अवस्था में वे हिंदुओं के कूर्वों पर भी चढ़ने नहीं दी जाती हैं, कहां तक कहैं प्रभो !
जो कुछ उन के साथ अनीति व अन्याय हो रहा है उस सब का यहां लिखते नहीं बन पाता, कारण आप सर्वज्ञ हैं आप से कुछ छिपा हुआ नहीं है । हे परम माननीय दयालो !
उन की ऐसी अवस्था में उनका कौन हितैषी हो सकता है! उन को कौन सुव्यवस्था दे सकता है! उन के कष्ट निवारणार्थ किस किस को चिन्ता हो सकती है ! तो उत्तर मिलता है कि नहीं केवल एक मात्र आपको ।।
लेखक | छोटेलाल शर्मा-Chhotelal Shama |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 622 |
Pdf साइज़ | 21.2 MB |
Category | धार्मिक(Religious) |
ब्राह्मण मीमांसा – Brahman Mimansa Book/Pustak PDF Free Download