ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें – Brahmacharya Vigyan Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
बीर्य की रक्षा भली माँ ति होने पर, सब लोकों के सुखों की सिद्धियाँ खयं मिल जाती हैं।अखण्ड ब्रह्मचारी पितामह भीष्म ने धर्मराज युधिष्ठिर को ब्रह्मचर्य-विषय का उपदेश किया है, उसमें भी इस महात्रत की महिमा भले प्रकार प्रकट होती है ।
वह इस प्रकार है: ब्रहमचर्यस्य सुगुख, श्टणत्व ्च सुधाधिया । आजन्म भरगावस्तु, ब्रह्मचारी भवेदिह।मैं ब्रह्मचर्य का गुण बतलाता हूँ। तुम स्थिर बुद्धि से सुनो! जो आजीवन ब्रह्मचारी रहता है, उसे इस संसार में कुछ भी दुःख नहीं होता।
न तस्य किञजचिदप्राप्यमिति विधि नराधिप !बहु-कोटि ऋषीणाञ्ञ, ब्रह्मलोके यसन्त्युत ॥हे राजन ! उस पुरुष को कोई वस्तु दुर्लभ नहीं।
इस बात को तुम निश्राय समझो ! ब्रह्मचर्य के प्रभाव से करोड़ों [ऋपि] ब्रह्मलोक में वास करते हैं।
सत्येरतानां सततं, दन्तानाम्च्च-रेतसाम् । प्रह्मचयदहेद्राजन् ! सर्व-पापाग्पुपासितम् ॥ सत्य से सदैव प्रेम करने वाले निमल ब्रह्मचारी का ्रदाब्य अत, हे राजन् ! समस्त पापों को नष्ट कर देता है। चिरायुयः सुसंस्थाना, डढ़संहननानरा:। तेजस्पिनो महावीर्या, भवेयु ग्रह चर्यतः ॥
(देमचन्द्र )जो लोग विधिवत् ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, वे चिरायु, सुन्दर शरीर, टद़ कर्शन्य, तेजस्वितापूर्ण कभौर ढ़़े पराबरमी क्षोते हैं।मामूर्ं चरिजस्य, पररहेककारणम् । समाचरन् प्रमचर्य, पूजितेरपिपूज्यते ॥
अचच सफचरित्रता का प्रा -स्वरूप हैं, इसका पालन करता हुआ मनुष्य, सुपूजित लोगों से मी पूजा आता है। पर के कोकों में जिस ब्रह्मचर्य के इतने गुर बतलाये गये हैं, उसके विषय में अधिक कहने की आवश्यकता नहीं ।
पाठक इवने से ही अक्षचर्य की महिमा का अनुमान कर सकते हैं। हमारे विचार से तो ब्रह्मचर्य की ययार्थ महिमा कहने और सुनने से नहीं विदित हो सकती ! इसको तो मली भाँति वे ही जान सकते हैं, जो कुछ समय तक इस प्रत की साधना करें।
लेखक | जगनारायण देव शर्मा-Jaganarayan Dev Sharma |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 380 |
Pdf साइज़ | 9 MB |
Category | साहित्य(Literature) |
ब्रह्मचर्य विज्ञान – Brahmacharya Vigyan Book/Pustak PDF Free Download