ब्रह्मचर्य जीवन की अनिवार्य आवश्यकता | Brahmacharya Jeevan Ki Anivarya Avashyakta PDF In Hindi

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ब्रह्मचर्य हिंदी में – Brahmacharya In Hindi PDF Free Download

ब्रम्हचर्य

जो नवयुवक विदेशी कामशास्त्र की पुस्तकें पढ़कर या अनुभवहीन लोगों की दलीलें सुनकर स्वयं भी ब्रह्मचर्य को निरर्थक कहने लगते हैं, वे चारों तरफ निगाह दौड़ाकर अपने साथियों की दशा देखें।

उनमें से हजारों जवानी में ही शक्तिहीनता का अनुभव करके ‘ताकत की दवाएं या टॉनिक आदि ढूंढ़ने लगते हैं। हजारों प्रमेह का शिकार होकर पौले शरीर और निस्तेज चेहरे को लिए फिरते हैं और हजारों ऐसे भी हैं,

जो सुजाक और गरमी जैसे भयंकर रोगों के शिकार बनकर अपने जीवन को बरबाद कर लेते हैं। यह हो सकता है कि इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी जैसे देशों के लोग ठंबी आबोहवा के कारण तथा मांस-मदिरा

आदि उत्तेजक आहार की अधिकता से अधिक संभोग के दुष्परिणामों को इतना शीघ्र अनुभव न करते हों, पर भारत जैसे गरीबोहवा वाले तथा शाकाहारी देश के निवासी यदि उनकी नकले करेंगे

तो उन्हें अपनी गलती का प्रतिफल तुरंत ही सहन करना होगा। भारत के प्राचीन मनीषियों ने इस तथ्य को उसी समय लो प्रकार समझ लिया था और इसीलिए बालकों के लिए छोटी आयु से ही

किसी सद्गुरु के निकट रहकर युवावस्था तक ब्रह्मचर्य पालन का विधान बनाया था। उसी युग में वेदों ने स्पष्ट रूप से घोषित कर दिया ब्रह्मचर्येण तपमा देखा मृत्युमुपागत ‘ब्रह्मचर्य के प्रताप से मनुष्य

स्वास्थ्य और शक्ति को प्राप्त नहीं करता, वरन वह मृत्यु को भी जीत सकता है। इसका यह आशय नहीं कि वह कभी भरेगा ही नहीं, पर वह अकाल मृत्यु को हटाकर दीर्घ जीवन प्राप्त कर सकता है

कठिन ही नहीं, असंभव है। खाने, पीने, निद्रा और मल-मूत्र त्याग की तरह संभोगवृत्ति भी स्वाभाविक है। इस पर किसी प्रकार का अंकुश या बंधन लगाना व्यर्थ है।

लेखक श्री राम शर्मा-Shri Ram Sharma
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 24
Pdf साइज़1.3 MB
Categoryसाहित्य(Literature)

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