बोल अरी ओ धरती बोल – Bol Ari O Dharti Bol Poem Pdf Free Download
बोल अरी ओ धरती बोल
बात सन् 1978 की है। दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों ने एक ग्रुप बनाया – नाम रखा प्रतिध्वनि। इस छोटे से ग्रुप के लोग एक छोटा-सा प्रयास कर रहे थे
ये लोग साथ मिलकर गीत गाना चाहते थे। गीत तो हम सब गाते हैं लेकिन इनके मन में एक खास बात थी। ये लोग ऐसे गीत गाना चाहते थे जो आम लोगों के सपनों और अरमानों से जुड़े हों।
इसीलिए इन्होंने फैज़ अहमद फैज़ और साहिर लुधियानवी जैसे कवियों के गीत गाए। इन गीतों में गरीबी, बेरोजगारी और जुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाई गई है।
प्रतिध्वनि के साथी एक और महत्वपूर्ण कोशिश कर रहे थे। हमारे देश के गांवों में खूबसूरत गानों की एक विकसित परंपरा है। ये लोक-गीत सैकड़ों-हज़ारों वर्षों से गाए जाते रहे हैं।
लोगों की जुबान से नाचते, लुढ़़कते, गिरते हुए इन गीतों में बच्चों की सी सरलता है। पिछले तीस-चालीस वर्षों में फिल्म के संगीत का प्रभाव बढ़ा है। गांवों में शादी-ब्याह, लोग अब खुद गीत नहीं गाते,
बल्कि लाऊडस्पीकर पर फिल्मी गीत बजाते हैं। धीरे-धीरे लोग अपने गीत भूलने लगे हैं। लोग यदि अपने गीत भूल जाएं, अपनी संस्कृति भूल जाएं तो वे एक ऐसी ‘मूक संस्कृति के युग में प्रवेश करेंगे
जहां वे अपना दुख और सुख भी सिर्फ बंबई की फिल्मों की भाषा में व्यक्त कर पायेंगे। फिल्मों में भी बहुत से खूबसूरत गीतों की रचना हुई है लोक गीतों में गांव की मिट्टी का सौंधापन है
वे हज़ारों भाषाओं में लोगों के अपने सहज और अच्छे-बुरे अनुभवों को व्यक्त करते रहे हैं प्रतिध्वनि के दोस्तों ने जब इन गीतों को इकट्ठा करना शुरू किया
लेखक | – |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 72 |
Pdf साइज़ | 19.3 MB |
Category | काव्य(Poetry) |
बोल अरी ओ धरती बोल | Bol Ari O Dharti Bol Book/Pustak Pdf Free Download