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भारतीय समाज – Indian Society Hindi Book PDF Free Download
भारत के समाज के बारेमें
धर्म में सद्गुण भी सम्मिलित हैं (कर्तव्य और सदगुण भिन्न होते हैं । कर्तव्य कर्म के लिए है और सद्गुण मस्तिष्क की आन्तरिक दशा को दर्शाता है । ठदाहरणार्थ, किसी व्यक्ति को अवैधानिक यौन क्रिया से बचाना कर्तव्य है और यौन विचारों से मुक्त रहना सद्गुण है ।
क्योंकि सद्गुण मन की पवित्रता है इसलिए गुणवान जीवन कर्तव्य की अवस्था से कही ऊपर है। अच्छा कार्य करने से अच्छा है अच्छा होना कर्तव्य बिना यह सोधे किए जाते हैं कि क्या चीज उन्हें अच्छा बनाती है। सद्गुण सही और गलत पर मनन कराता है ।
कर्तव्य परम्परागत नैतिकता का प्रतिनिधित्व करते हैं जब कि सद्गुण नैतिक विचारों का 1 माता-पिता को प्यार करने वाले पुत्र तथा उन्हें आर्थिक सहयोग देने वाले पुत्र दोनों में अन्तर है ।
बाद वाला पुत्र वही करता है जो समाज ने उसके लिए माता-पिता के लिए कर्तव्य निर्धारित किए हैं जबकि पहला पुत्र दया के वे अनेक कार्य करता है जो समाज द्वारा निर्धारित नही किए गये हैं। सद्गुण गतिवान है जबकि कर्तव्य स्थिर हैं लेकिन कर्तव्य सद्गुणों का मार्ग प्रशस्त करते हैं। धर्म समाज एक सूत्र में बाँधे रखता है और सद्गुण हमारे मस्तिष्क में एकता भाव पैदा करते हैं।
मोक्ष मुक्ति या स्वतंत्रता की स्थिति बताता है। शकरा ने मुख्य मयोजन’ या अन्तिम लक्ष्य और ‘गौण प्रयोजन या द्वैतियक लक्ष्यों में भेद किया है । किसी भी वस्तु के लिए इच्छा करना ‘मुख्य प्रयोजन होता है लेकिन किसी वस्तु को ‘मुख्य प्रयोजन के लिए प्राप्ति ‘गौण प्रयोजन होता है।
आनन्द मुख्य प्रयोजन का विषय है जबकि किसी नौकरी के लिए प्रशिक्षण धनार्जन गौण प्रयोजन है। शकरा की मान्यता है कि आनन्द दो प्रकार का होता है|
लेखक | राम आहूजा – Ram Ahuja |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 482 |
Pdf साइज़ | 11.35 MB |
Category | Sociology |
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