अचुत कोन या कैस – Untouchale Hindi Book/Pustak PDF Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
शताब्दी में नागों को विशेष रूप से मध्य भारत में दूसरी बार फिर महत्व प्राप्त हुआ । ०० ई० मेल-स्थित भोजपुर के महाराज विवर देव ने एक नाग-वंश को हराया।
इसके कुछ समय बाद हमे बलके शिक्षा-खेलों में भी लोगों के दो उल्लेख मिलते हैं।
महामारी लिक ईश्वर घोष का रामगंज का लेखा लेकर के एक घोष नाग परिवार से हबें परिचित कराता है। इसे ग्यारहवी शताब्दी में माना गया है।
बारहवीं शताब्दी के इरिवर्म देव के मन्त्री भट्ट भवदेव की भुवनेश्वर प्रशस्ति में भी उसके द्वारा नागों के विनाश का उत्तक है। रामचरित्र ने भी रामपाल द्वारा भव भूषण-सन्तति के राज्य की विजय को देख लिया है।
लेकिन बह बह अस्पष्ट है कि वे नाग देवता चान्द्र अधिक सम्भावना रही है कि वे नाग ही थे, क्योंकि वे ही अधिक प्रसिद्ध थे। दसवीं से बारहवीं शताब्दी तक सेन्द्रक, सिन्हा छिन्दक
परिवार की भिन्न भिन्न शाखाओं शनैः शनैः मध्य भारत के, ( विशेष रूप से बस्तर में ) भिन्न-भिन्न भू-प्रदेशों में फैल गई । दसवीं शताज्दी के शिला खेलों में बेगूर के ग्रहों का भी बखान है।
थे पश्चिम क्ष के राजा हरियाणा की ओर से वीर महेन्द्र के विरुद्ध लड़े और युद्ध में वरा माप्त किया ।
बदि ‘नवमी साडू-चरित’ की साक्षी सही स्वीकृत की जाय तो सिन्धुराज परमार की रानी का पिता नाग-नरेश इसी समय के पस नर्मदा के तट पर रत्नवती में राज्य करता रहा होगा।
द्रिड कौन हैं ? क्या वे नागों से भिन्न हैं। क्या क्या ये एक ही नसल के लोगों के दो भिन्न नाम है ? प्रचलित मत है कि द्रविड़ और नागेश भिन्न नस्लें थी। यह मत लोगों यो कनोसा लगेगा किन्तु तो भी यही बात सही है |
लेखक | डॉ। भीमराव अम्बेडकर-DrBhimrao Ambedkar |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 204 |
Pdf साइज़ | 143.2 MB |
Category | इतिहास(History) |
अचुत कोन या कैस – Achhut Kon Or Kaise Book/Pustak PDF Free Download