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चंपक – Champak Magazine PDF Free Download

चंपक
रोहित की तीन ख्वाहिशे (इच्छाएं)
रोहित एक अनाथ लड़का था। वह बहुत ही गरीब था और बहुत करीब से गरीबी का सामना करता था। उसके माता-पिता का उसके बचपन में देहांत हो गया था। माता-पिता के देहांत के बाद उसे एक रिश्तेदार ने अपने पास रख लिया।
वह रोहित से बहुत अधिक कार्य करवाता था और भोजन में बहुत कटौती करता था।
रोहन अपने रिश्तेदार की प्रताड़ना से तंग आकर पलायन कर गया। फटेहाल में रोहन समुद्र के किनारे पर बैठता तथा अपनी इच्छाओ की कल्पना किया करता – काश हमारे पास भी सभी के जैसी सारी सुख सुविधाएं होती तब हमारी भी जिंदगी आराम से कट जाती कभी-कभी किस्मत भी अजीब खेल खेलती है।
वह स्वयं ही परेशान व्यक्ति को अवसर उपलब्ध करा देती है और खुद देखती रहती है कि परेशान व्यक्ति किसी प्रकार से लाभ उठा सकता है कि नहीं। दैवयोग से रोहन को भी किस्मत ने एक मौका उपलब्ध करा दिया था। रोहन प्रतिदिन की भांति इस बार भी समुद्र के किनारे पानी में अपने पैर डालकर बैठा था और समुद्र की लहरों के साथ ही अठखेलियां कर रहा था।
उसी समय एक बोतल समुद्र की लहरों के साथ किनारे से आकर लग गया। बोतल का ढक्कन बंद था और उस बंद बोतल के भीतर एक कागज पड़ा हुआ था तथा उस कागज पर कुछ लिखा हुआ मालूम पड़ रहा था।
कौतुहल के कारण रोहन उस बंद बोतल को अपने हाथ में लेकर बहुत गौर के साथ उलट-पलट कर देखने लगा और देखते हुए रोहन ने उस बंद बोतल का ढक्कन खोल दिया।
बोतल का ढक्कन खुलते ही आंधी का तेज झोंका आया तथा आंधी के झोंके से ही एक गंभीर आवाज रोहन को सुनाई पड़ी क्या हुक्म है मेरे मालिक? इसके साथ ही एक भयानक आकृति रोहन के सामने आकर उपस्थित हो गयी।
वह भयानक आकृति कोई और नहीं एक शक्तिशाली जिन्न था।
जिन्न रोहन से बोला – मैं आपका गुलाम हूँ मैं आपका तीन हुक्म मानने के लिए बाध्य हूँ। आप मुझसे जो चाहे मांग सकते है। रोहन पहले ही आवारा घूमने वाला लड़का था। उसे घर की आवश्यकता थी।
उसने जिन्न से कहा – तुम हमारे लिए एक ऐसा घर तैयार करो जो दुनियां में सबसे सुंदर और सुविधापूर्ण हो।
जिन्न एक तूफान का रूप धारण करके गोल-गोल घूमने लगा रोहन भी उस तूफान के साथ ऊपर उछलता चला गया। कुछ समय के उपरांत तूफान शांत होने पर रोहन एक जगह खुद को खड़ा हुआ देखा जिन्न अपना दोनों हाथ अपने सीने पर रखकर गुलाम जैसी अवस्था में बोला – क्या मेरे मालिक को यह जगह पसंद है?
रोहन बोला यह तो बहुत ही सुंदर जगह है। तुम यही पर हमारे लिए खूबसूरत और सारी सुविधाओं से परिपूर्ण घर बनाओ। रोहित की आज्ञा मिलते ही जिन्न ऊपर की आसमान की तरफ देखते हुए कुछ बुदबुदाने लगा उसी समय बिजली की तेज चमक हुई।
बिजली की तेज चकाचौंध के बाद एक खूबसूरत घर सारी सुविधा और नौकर चाकर से पूर्ण होकर तैयार था। रोहित उसमे बहुत आराम से रहने लगा। जिन्न रोहित से बोला – मेरे मालिक क्या आप बची हुई दोनों इच्छाओ की पूर्ति करना चाहते है?
रोहित बोला अभी नहीं कुछ दिन रुको फिर तुम्हे अपनी आगे की इच्छा पूर्ति बताऊंगा। रोहित एक दिन बाजार घूमने जा रहा था। उसकी किस्मत अब बदल चुकी थी पर उसे तंगहाली में बिताये गए दिन की याद ताजा थी।
रोहित बाजार में सड़क के किनारे गरीब और भूखे बच्चो को भोजन और भीख मांगते हुए देखा तो फौरन ही घर वापस आ गया।
उसे अपने गरीब स्थिति का एहसास हो गया। घर आकर रोहित ने तीन बार ताली बजाई जिन्न सेवक की मुद्रा में आकर खड़ा हो गया और बोला – क्या हुक्म है मेरे मालिक? रोहित बोला – जितने भी गरीब बच्चे है उनके लिए तुम उत्तम भोजन उपलब्ध कराओ।
जिन्न सभी गरीब बच्चो के लिए सुंदर और स्वादिष्ट भोजन की व्यवस्था कर दिया फिर रोहन से पूछा – मालिक क्या अपनी अपनी तीसरी इच्छा पूरी करने का आदेश देंगे? रोहित सोचने लगा – आखिर बात क्या है जो यह जिन्न बार-बार हमारी इच्छा पूर्ति करने के लिए उतावला हुआ जा रहा है?
रोहित बोतल में रखा हुआ कागज निकालकर पढ़ने लगा उस कागज में लिखा था तीसरी इच्छा की पूर्ति होने पर इच्छा व्यक्ति को इस बोतल में कैद होने के लिए मजबूर होना पड़ेगा तथा जिन्न हमेशा के लिए आजाद हो जायेगा। कागज में लिखा हुआ पढ़कर रोहित का विचार बदल गया।
उसने ऐसा उपाय सोचा जिससे जिन्न सारी जिंदगी उसकी गुलामी करने पर मजबूर हो जाय तथा उसके नहीं रहने पर जिन्न को स्वतः फिर से बोतल में बंद होना पड़ जाय। रोहित ने तीन बार ताली बजायी जिन्न हाजिर हो गया और सिर झुकाते हुए बोला – मेरे लिए क्या हुक्म है मालिक?
रोहित बोला – हमारी तीसरी इच्छा भी पूर्ण कर दो। जिन्न बहुत खुश होते हुए बोला – आप हमे जल्दी से हुक्म दीजिए। उसे क्या पता था कि उसके ऊपर ही गाज गिरने वाली है। रोहित बोला – मैं जब जीवित रहूंगा तुम्हे हमारी गुलामी करनी पड़ेगी और हमारे नहीं रहने पर तुम्हे फिर से इस बोतल में बंद रहना पड़ेगा।
इतना सुनकर जिन्न जोर-जोर से चिल्लाने लगा लेकिन कुछ करने की स्थिति में नहीं था रोहित की जिंदगी आराम से व्यतीत हो गयी।
Language | Hindi |
No. of Pages | 57 |
PDF Size | 9.9 MB |
Category | General |
Source/Credits | apsjalandhar.com |
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