चिकित्सा चन्द्रोदय – Chikitsa Chandrodaya All Volume Book/Pustak PDF Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
फान बर्गर इन्द्रियोंमें जब बाबु घुस जाती है, तर हनकी चक्तिका नारा कर देखी है।
अगर कानमें वायु पुम जातो है, तो कानमें अनेक तरहको होती है, कानोमे एरईद होता है और यह यहने लगन हैं । इमी तरह मौर इन्दियोकि सम्बन्धमें समझ लो ।
(१) वातनाशक चिकित्सा करो। नेल घर: चिकनी चोज्गोकी मालिश करो । तेल आदि चि कने पदार्थीकी कोठो या हौज़में रोगोको गोते लगवाओ। शरीर पर स्नेह यानी तैल भादि चिकने पदार्थोंका लेप करो या लगा दो ।
(२) एक तोले सरसोंके तेल में ६ माशे लेसन डालकर जला लो। फिर शोतल होने पर, उसी तेल कान छोड़ो।(३) दो रची अफीम, ६ माशे सरसोंके उमें घोल कर कानमें डालो। इससे कान का दर्द, कान बहना या तरह-तरह की आवाज़ सुनाई देना आराम हो जाता है ।
सन्धि-वात और क्रोप्डकीर्ण वातमें जो भेद है, उसे न भूलना चाहिये। सन्धिवात होनेसे घुटने, टाबने, कोहनी और कन्धे प्रवृति जोडंनं इर्द होता है और सूजन भो आती है, क्रोप्डरुपीर्ष रोग होनेसे केवल जानु या घुटनेमें ही सूजन आती और पीड़ा होती है और क्मिी जगह टद यगैर नाहीं होता।
एक बात और है, फ्रोप्टुकपीर्णकी सूजन स्यारके मार्वेक जेमी मोटी और चिकनी होती है, वैसी सृजन सन्धिवातमे नहीं होती ।
(१) सन्धियोंमें वायुके प्रवेश करने पर दाग देना चाहिये, पसीने निकालने चाहिए तथा इन्द्रायणकी जड़ और पोपरोंको पीस कर और गुड़में मिला कर १ तोले रोज खाना चाहिये।
नोट-इन्द्रायणकी जड़ ६ माशे, पीपर ६ माशे और गुड़ १ तोले मिलाकर खाना चाहिये। इससे सन्धिवात नष्ट हो जाती है । इस दवासे नित्य ३१४ दस्त होते हैं और दस्तोंको राहसे हो वात नाग हो जाती है।
(२) सोठ ६ माशे, शुद्ध गूगल ६ माशे और घी १ तोले- इन तीनोंको मिलाकर और खूब कूट-पीस कर खानेसे सन्धियों या जोड़ोकी वायु नाश हो जाती है।
लेखक | बाबू हरिदास वैध – Babu Haridas Vaidhya |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 1362 |
Pdf साइज़ | 53.2 MB |
Category | स्वास्थ्य(Health) |
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