भारत का इतिहास रोमिला थापर – Ancient Histoy Hindi PDF Free Download
प्राचीन भारत का इतिहास
धूकि यहाँ विशाल क्षत्रा में उतने बड़े पैमाने पर खेती नहीं होती थी जितन बडे पैमाने पर गगा के मदान म, इसलिए पल्लवो और चालुक्यो को भूमि स सीमित प्राय थी ।
व्यापार का इतना विकास अभी नही हुआ था कि वह अय व्यवस्था म कोई विशेष योगदान कर सके ।
राजस्व का अधिकाश सेना पर खच हो जाता था । साम ती की सना से सहायता लेने की प्रणाली प्रचलित थी, परन्तु उस पर बहुत अधिक निमर नही रहा जाता था, और राजा अपने प्रत्यक्ष निय त्रण मे स्थायी सेना रखना पसन्द करता था ।
सेना मे मुख्यत पदातिक और अश्वारोही तथा अल्प सख्या म हाथी होते थे। रथा की प्रथा अ लगमग समाप्त हो चुकी थी, क्योकि पहाडी क्षेत्रा म, जहाँ अधिकारा युद्ध होते थे, ये अनुपयोगी थे।
ऐसी स्थिति मे अश्वारोही सर्वाधिक उपयोगी सेना थी, परन्तु उस पर व्यय बहुत अधिक होता था क्योकि घोडे सीमित संख्या में उपलब्ध थे और पश्चिमी एशिया से घोडो का थायात करना महँगा पडता था।
आवश्यकता पड़ने पर सैनिक अधिकारियो का उपयोग नागरिक प्रशासन म किया जा सकता था, परतु साधारणतया नागरिक तथा सनिक कार्यां मे स्पष्ट अन्तर था ।
पल्लवा ने एक नौ सेना तैयार की थी और महावलिपुरम् तथा नेगापत्त- नम् म पोतागना का निर्माण कराया था।
किन्तु श्री चलकर चोला के शासन काज म दक्षिण भारत में नौ-शक्ति का जसा विकास हुआ, उसके सम्मुख पल्लवा की नौ सेना नगण्य थी ।
पल्लवो की नौ सेना युद्ध के अतिरिक्त और काय भी करती थी। ये राज्य भारत के निकट सम्पक म ये, खासकर दक्षिण भारतीय व्यापारी के सम्पक म, जो व्यापार की तलाश म उधर जाते तथा ।
पश्चिमी तट पर पश्चिम के साथ व्यापार का नेतत्व धीरे धीरे इस राट पर वसे विदेशी व्यापारियो, खासकर अरबो, वे हाथो मे पहुँच रहा था।
लेखक | रोमिला थापर- Romila Thapar |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 319 |
Pdf साइज़ | 8.1 MB |
Category | इतिहास(History) |
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