Yoga And Perfection English PDF Free Download
साधना और सिद्धि
खण्ड – १
ज्ञान दीप को लेकर हाथ,
विराग कवच को लेकर साथ ।
परम लोक की ओर बढ़ो तुम-
बिन रुके चलो, हे अमृत सुत !(१)
‘पावन मेरे नाम और रूप,
चिन्मय – आनंदमय और अनूप।
‘ पर परम प्रकाशित परम लोक’,
लक्ष्य तुम्हारा, हे अमृत सुतः ! (२)
असीम निर्विकार लक्ष्य तुम्हारा,
लक्ष्य ही तेरा, सत्य सहारा।
लक्ष्य सिवा सब माया क्रीड़ा-
माया शत्रु है, हे अमृत सूत । (३)
माया करती पथ भ्रष्ट सदा,
तन से बंधन, दे कष्ट सदा ।
पीड़ा पीड़ा माया पीड़ा,
कर माया मर्दन, हे अमृत सुत ।(४)
PART I.
Torch of knowledge held in hand,
Non-attachment’s armor grand,
Longing Look on Grief-less Land-
March with these, O Nectar’s Son! 1
Grief-less Land doth ever shine,
Chit-ful, blissful, causeless, fine,
Pure, though nâms’ and rûpas’ mine;-
This thy Goal, O Nectars’ Son! 2
The goal is boundless, changeless, lo!
Goal alone is real, know;
All but Goal is Maya’s show;
Mâyâ foe, O Nectar’s Son! 3
Mayá foe misleads, remember,
Binding thee to body’s chamber,
Pain and pain gives out of number! –
Kill thou Mâyâ, Nectar’s Son! 4
लेखक | जय प्रकाश अग्रवाल-Jai Prakash Agrawal |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 274 |
Pdf साइज़ | 1.1 MB |
Category | स्वास्थ्य(Health) |
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