विवाह, विज्ञान और कामशास्त्र – Vivah, Vigyan Aur Kaam Shastra Book/Pustak Pdf Free Download

अर्णत् अधिक मैथुन करने से शलरोग, खांसी, व्वर, भास रोग, हुर्गवना, पुरोग और सांप रोगो का राशि एप तफेविक) धीर हमेशा प्रकार के स्तन सम्बन्धी रोग उत्पन्न होते हैं और इन रोग के कारण भार भी मयकर रोग अपने होते हैं ।
(तपेदिक ) एक ऐसा रोग है कि जिना प्राणनाश लिये पेक्षा नही पइसा परी कारण है कि हमारे देश में सपेदिक अधिक होता है यह असाध्य रोग है जो रोग युवकों को ही अधिक होता है।
चय रोग से ग्रसित अधिकतर देखी तारी हैं कि चय रोग पाली विद्या भी मेरे पास चिक आवी हैं
चिह्न भी इस प्रकार के रोगी की पुरुषों की अधिक आती परा पायी रोगी को ठाकरे के लिये मेरे पास कोई उत्तम स्थान नहीं है इलिया एसी रोगी सिया ठंडाई नही नासरी ।
रतिक्रिया विज्ञान और उत्तम सन्तान ब और मम्मेशाखों से राम्या परी और सन्तान के लिये या करने पा सिपम पीे लिखा का सुफा है।
दाम्पत्य प्रेम और गह में शिषो श्रीहृष्ण बीर मीरामचन्द्र तमा मा राजा रामचन्द्र पापा (गर के प या पान भ सचित्र लिखा जा शृ्षा है। य पहा आपुरेद से ग्भांधान किया और उत्तम सम्मान परपस करने की विचि बनाई जाती ।
जिस प्रकार लेत में बीज बोने के मुख्य दिन पहिले से ही किसान खेत को ठीक युवा है और उसमें खाद प्रादि उत्तम अन्न उत्पन्न होने के लिये डालता है और जब खेत ठीक होजाता है तब उत्तम ऐसा बीज बोता है ।
बो देने पर भी इसका अनेक प्रकार से खत्म होने का उपाय करता है और बीज को देने पर तथा सीधा निकल ने पर भी अनेक प्रकार की बाधाएं होती हैं उनसे भी पौधे को रक्षा करता है ।
लेखक | यशोदा देवी – Yashoda Devi |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 704 |
Pdf साइज़ | 20.4 MB |
Category | विषय(Subject) |
विवाह विज्ञान और काम शास्त्र – Vivah Vigyan Aur Kam Shastra Book/Pustak Pdf Free Download