विकलांग शिक्षा सिन्धु – Disability Book/Pustak Pdf Free Download
वाणी का स्पष्ट, क-रक कर और शब्द के स्थान पर केवल ध्वनि ही स्प में प्रकट होना शैक्षिक पक्ष में चार विकलांगता कहलाती है। बाकी सौष्ठव ही वह एक मात्र साधन है जो मौलिक अभिव्यक्ति की आधारशिला है, जिस पर भाषा का विकास पूर्णतः अवलम्बित है ।
वाक् विकलांगता का अर्थ मनोभावो एव घनुभवो को वाणी द्वारा प्रकट करना, हर्यो एव स्थलो का वर्णन, पटना का उल्लेख, पूछे गये प्रश्नों के उत्तर आदि के लिए भाषा का प्रयोग स्वाभाविक है।
इसी भाषा का स्पष्ट एव अर्थपूर्ण रूप वाक् शुद्धता पर निर्भर करता है। बाकू दोष, अस्पष्ट उच्चारण, असगत ध्वनि, हकलाना, तुतलना प्रादि विकार वाक् विकलांगता की श्रेणी में आयेंगे । सामान्य वाक् ध्वनि का न होना ही बाकू विकलागता का अर्थ ह |
जिससे कहने वाले व्यक्ति का मन्तव्य थोता न समझ सके या अस्पष्टता से या विलम्ब से समझे। वाक् विकलांगता का प्रमुख कारण रावण शक्ति का हास,
उसका विकारयुक्त होना या सर्व या न होना है। एक कारण यह भी होता है कि खट-खट ध्वनि जो क्णं रोग के कारण बचपन मे बालक सुनता है वही एक प्रकार से स्थायी हो जाती है ।
वाक् विकलागता तो नहीं परन्तु याक् दोष (उच्चारण दोप) मे जातीय दोप भी एक कारण है। कई जातियां ‘स’ के स्थान पर हैं
का यथा सोहन सिंह के स्थान पर ‘होनाहंग’ या ‘सीना सर्द के लिए ‘छीना ख्द ऐसा उच्चारण करती है। कर्ण दोष प्रभुख स्प से बाकू विकतागता को उत्पन्न करता है ।
वाक् दोप तीव्र बुद्धि, चौथ बुद्धि एव सामान्य बुद्धि मभी प्रकार के बालको को सम्भय है । प्रमस्तिष्कीय संस्तम्भ भी इसका कारण हो सता है ।
मस्तिप्फ पर चोट लगना, मुल का विकसित होना, तालु कण्ठ, जिह्वा, दान ग्रादि में विकार भी वार विकलांगता के कारण कहे |
लेखक | ललित चतुर्वेदी – Lalit Chaturvedi |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 304 |
Pdf साइज़ | 14 MB |
Category | साहित्य(Literature) |
विकलांग शिक्षा सिन्धु – Viklang Shiksha Sindhu Book/Pustak Pdf Free Download