तत्त्वार्थ सूत्र | Tattvarth Sutra PDF In Hindi

तत्त्वार्थ सूत्र – Tattvarth Sutra Book/Pustak PDF Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश

‘कल्प’ कितने सौधर्म-स्वर्ग से लेकर अच्युत स्वर्ग- पर्यंत 16 स्वर्ग की अथवा 12 स्वर्गो की ‘कल्प’ संज है। ‘कल्प’ किसे कहते है? जिनमें इन्द्र,सामानिक और त्रायस्त्रिंश आदि रूप से देवों के विभाग की कल्पना है, वे ‘कल्प’ कहलाते हैं।

कल्पातीत कौन है? तर- नव-प्रवेयक, नव अनुदिश और पाँच-अनुत्तर-विमान ‘कल्पातीत’ कहलाते हैं। ‘कल्प’ और ‘कल्पातीत’ में क्या अंतर है? जहाँ इन्द्र-प्रतीन्द्र की कल्पना है, वे स्वर्ग ‘कल्प’ कहलाते हैं; जहाँ इन्द्र-

प्र. 4. प्रतीन्द्र की कल्पना नहीं है. और जहाँ सभी अहमिन्द्र हैं. वे सब ‘कल्पातीत- विमान’ कहलाते हैं। ब्रह्मलोकालया लौकान्तिकाः ॥24॥ अर्थ – ‘लौकान्तिक’ देवों का ‘ब्रह्मलोक’ निवास स्थान है।

लौकान्तिक-देव कहाँ रहते हैं? ‘ब्रह्मलोक’ लौकान्तिक-देवों का निवास स्थान है। मुख्यरूप से लौकान्तिक देवों के नाम क्या है? मुख्यरूप से सारस्वत, आदित्य. वहि. अरुण, गर्दतोय. तुषित, अव्याबाध और अरिष्ट –

ये मुख्यरूप से लौकान्तिक-देव हैं। लौकान्तिक-देवों की विशेषता क्या है? लोकान्तिक-देव एक-भवावतारी होते हैं। लोक (जन्म-मरण रूप संसार) का अंत करनेवाले होते हैं. इसलिए ‘लौकान्तिक’ कहलाते हैं। ये द्वादशांग के पाठी होते हैं.

ब्रह्मचारी होते हैं, और तीर्थकरों के सिर्फ तप-कल्याणैक में आते हैं। लौकान्तिक-देवों को ‘देवर्षि’ क्यों कहते हैं? उत्तर – लौकान्तिक-देव विषयों से विरत रहते हैं. इसलिए ‘देवर्षि’ कहलाते हैं। सूत्र में ‘लोक’ का क्या अर्थ है?

सारस्यत, आादत्य, वाह, अरूण, मदताय, सुणत, अ्यावाच अरिह-ये लौकान्तिक-देव है। कान्तिक-देव कौन-कौन-से है? सारस्वत, आदित्य, वहि, अरूण, गर्दतोय, तुषित, अव्यावाथ और अरिह-ये लौकान्तिक-देव है।

सारस्वत-देव का लक्षण क्या है? जो चौदह पूर्व के ज्ञाता होते हैं, वे ‘सारस्वत’ कहलाते हैं। आदित्य-देव का लक्ष्ण क्या है? जो आदित्य अर्थात् सूर्य के समान द्वेदीप्यमान है वह आदित्य देव है। . वहि-देव का क्या लक्षण है?

जो वहि के समान द्वेदीप्यमान हो, वे वह्नि देव है। ये लौकान्तिक- देव कौन-कौन सी दिशाओं में रहते हैं? सारस्वत पूर्वोत्तर-कोण में, आदित्य पूर्व-दिशा में, वह्नि पूर्व-दक्षिण में, अरूण दक्षिण दिशा में,

लेखक आचार्य उमास्वामी- Acharya Umaswami
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 369
PDF साइज़ 10 MB
Categoryधार्मिक(Religious)

तत्त्वार्थ सूत्र – Tattvarth Sutra Book/Pustak PDF Free Download

2 thoughts on “तत्त्वार्थ सूत्र | Tattvarth Sutra PDF In Hindi”

  1. Babu lal jain

    जग के उदार के लिए आपके दारा लिका गया शास्त्र जग का klayan करने वाला है

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