तांत्रिक की डायरी | Tantrik Ki Diary Book/Pustak PDF Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
सोंग भूत-वाला (पताकाओं) का अस्तित्व नहीं मानते । वैज्ञानिक युग का गुख आदर्श श र् हैं। त् कृ कसौटी पर जो बात खरी नहीं उतरती आधुनिक युग उसे स्वीकार नहीं करता। पाण जगत बय से संवंध रखता है।
बहुत सी डीजे राजपूत को आटी हैं जैसे बिजली का नंगा तार सार्स करते ही करेन्ट मार देता है जमी दिवाली नहीं देती महसूस की जाती है।
इस पर की शहतूत झी जाने वाली नवजात की घटनाओं को तर्क के गानों पर नहीं किसी अन् पानी पर समझना पड़ेगा
इसी तरह सूक्ष्म नियमों से स्थापित होने वाली तुझे जगत की घटनाएं स्थूल जगत के मानदंडों पर कैसे शमशी सकेंगी? दुलार मीटर से नापा जाता है।
आलू तराजू पर बोला जाता है। अगर कोई अड़ जाय कि बुद्धि को तराजू में ही तौल कर मामा तो उै आप कवा कडेंगे?
इजी तरह लोग जिद करते है कि ऊपरी शक्ति से पेरा सात्का हो सभी में मनकि वे होती हैं। बच्चा चालक महीने में सीखना है, पढ़ना क्यों में श्रीखता है।
इसी कार ऊपरी शक्ति का साक्षात्कार करने के लिये उसकी प्रक्रिया सोखनी पहेली। और पूर्वाध्यान के अधार ही कोई साइकिल चलाना नहीं प्रारंभ कर सकता ।
मन पारिजात के में सही ज्ञान देने वाले शि्षाक कहत कन हैं,. नहीं थे बराबर। इस जगत को समझने के लिये जिन्ञानु जो ईमानदार लोग भी नहीं है।
सामान्यतः लोग यह कहने में बडा नय जानते हैं कि सब अविश्वास हैं …. में तो नहीं गनता.. अरे, तुम्हारे भान प्रसार हो क्या होता है।
आंख बन्द करके अंधेरा अधेरा चिल्लाने से सूर्य का बल्ला सुभान नहीं हो जायेगा। तथ्यों से मुंह ड से तथ्यों ह अस्तित्व संभाल नहीं कोई जाये सोलर के अन्दर सूक्ष्म और पूल्य |
लेखक | सुशील कुमार-Sushil Kumar |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 179 |
Pdf साइज़ | 11.7 MB |
Category | ज्योतिष(Astrology) |
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Keep on writing, great job!