तंत्रयोग | Tantra Yoga PDF In Hindi

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तंत्र योग – Tantra Yoga Book By Swami Saraswati PDF Free Download

तंत्रयोग तंत्र

प्राचीन काल में विदेह और वत्स के बीच करूप नामक जो प्रदेश या उसे आज शाहाबाद कहा जाता है।

लेकिन इसका अत्यधिक प्रचलित नाम आरा है जो अरण्य का अपभ्रंश है।

बिहार राज्य में तीन प्रसिद्ध अरण्य है, अरण्य ( आरो): सारण्य ( सारन ); चम्पारण्य (चम्पारन ) |

हिमालय की उत्पत्ति के बाद नवीन हिमालय और पुराने विन्ध्यगिरि के मध्य ब्रह्म-गंगा हद (इन्डोमा नदी) को सिन्धु, गंगा,

ब्रह्मपुत्र तथा उनकी सहायक नदियां तेजी से मरने लगी तो पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों का भूभाग और उत्तरी आरा, छपरा तथा चम्पारन जिलों का अस्तित्व सबसे अन्त में सामने आया ।

इसलिए शतपथ ब्राह्मण के अनुसार यह देश वर्तमान काल के सुन्दर बन की तरह घनघोर वन से ढंका था और जनशून्य था ।

इस निर्जन वन्य प्रदेश को वैदिक ऋषियों ने अपना साधनस्थल बनाया।

आरा के सौभाग्य से गंगा तट पर बक्सर (वेदगर्भ) में ब्रह्मर्षि विश्वामित्र ने अपना सिद्धाश्रम बनाकर भोज जाति को वैदिककाल की सर्वोत्तम और सुसंस्कृत जाति में ढाला ।

आगे चलकर भोज जाति मर्ग और मल्ल दो शाखाओं में बंट गई, लेकिन विश्वामित्र ऋषि के प्रभाव से उनका शांभव संस्कार वर्तमान रहा।

फलस्वरूप आरा जिला में शाक्तपीठों और शांभवपीठों की बहुलता आज मी देखी जा सकती है।

आरा शहर के शिवमंदिर- भारा जिला की प्रधान देवी अरब माता, है उन्हीं के नाम पर इस जिला का नाम आरा पड़ा है।

अरण्य देवी का मंदिर औरंगजेय द्वारा तोड़वा दिया गया था। नया बना हुआ मन्दिर औरंगजेदी मस्जिद की बगल में है।

शहर की बनावट में काफी परिवर्तन होने से आज माइम नहीं पड़ता कि अरण्य देवी के भैरव का मन्दिर कौन है।

लेकिन अनुमान किया हैबिन्द टोली के सिद्धनाथ महादेव अरण्य देवी के भैरव हैं।

दोनो मन्दिरों में विशेष दूरी भी नहीं है और सिद्धनाथ महादेव के पास प्राचीन मूर्तियों का शेष जो बिखरा है, उससे उस स्थान की प्राचीनता का बोध होता है।

पड़ता है, कभी वहाँ विशाल शिव मन्दिर रहा होगा। भग्न मूर्तियों की शिल्पकला साल की मालूम पड़ती हैं।

आज विशाल आंगन में कई छोटे-छोटे मन्दिर बने हैं जिनमें दुर्गा, भैरव, गणेश, हनुमान की मूर्तियां स्थापित हैं।

दूसरी ओर कई छोटे छोटे शिवालय बने हैं जिनमें दो बहुत अच्छे हैं।

मध्य भाग में तीन शिवाला है जिनमें सबसे उत्तरी भाग में बाबा सिद्धनाथ विराजमान हैं। यह सिद्ध स्थान है।

महानिशा में बड़ा ही रमणीक दृश्य दिखलाई पड़ता है।

आरा शहर के उत्तर निर्जन माग में स्थित यह स्थान साधकों के लिए महत्वपूर्ण है। शिवरात्रि के समय यहां मेला लगता है ।

आरा शहर में दूसरा महत्वपूर्ण शिव मन्दिर पातालेश्वर महादेव का है। महाजन टोली न० १ के उत्तरी फाटक से प्रवेश करते ही यह मन्दिर बड़ा रमणीक ढंग से बना है।

कभी यहां प्राचीन मन्दिर होगा, लेकिन आज एक नवीन मन्दिर में भूमि से करीब १० फीट नीचे श्री पातालेश्वरनाथ स्थापित हैं।

अध्यं में तीन लिंग हैं और दीवार में पार्वती गणेश विराजमान हैं।

मन्दिर में बिजली बत्ती और पंखा लगा हुआ है। मन्दिर के बाहर गणेश, दुर्गा और हनुमान की मूर्तियां स्थापित है।

श्री दुर्गा की मूर्ति बड़ी भव्य है ।

एक छोटी बाटिका में भी शिव की जटा से गंगा प्रवाह की बनी कृत्रिम प्रतिमा बड़ी मनमोहक है।

लेखक अक्षोभ्यानन्द सरस्वती-Akshobhyananda Saraswati
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 34
Pdf साइज़6.1 MB
Categoryज्योतिष(Astrology)

तंत्रयोग | Tantra Yoga Book/Pustak PDF Free Download

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