स्वामी दयानन्दजी ने क्या खोजा क्या पाया – Swami Dayanand Life Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
जिंदगी का सच्चा मकसद और उसे पाने का सही तरीका केवल सच्चा गुरू ही बता सकता है। इसीलिए जान देने वाला एक गुरू वास्तव में ज़मीन और आसमान के सारे खजानों से भी बढ़कर है।
उसका अनुसरण करके ही मनुष्य अपने लक्ष्य को पाकर सफल हो सकता है। इस तरह एक सच्चे और ज्ञानी गुरू की तलाश हरेक मनुष्य की बुनियादी और सबसे बड़ी ज़रूरत है। लेकिन जैसा कि इस
दुनिया का कायदा है कि हर असली चीज़ की नक़ल भी यहाँ मौजूद है इसलिए जब कोई मनुष्य गुरू की खोज में निकलता है तो उसे ऐसे बहुत से नकली गुरु मिलते हैं जिन्हें खुली आँखों से नजर आने
वाली चीजों तक की सही जानकारी नहीं होती लेकिन वे ईश्वर और आत्मा जैसी हकीकतों के बारे में अपने अनुमान को ज्ञान बताकर लोगों को भटका देते हैं।मूलशंकर ने सच्चे योगी गुरू की खोज शुरू की,
जो उसे ‘सच्चे शिव’ के दर्शन करा सके। इस खोज में वह पहले ‘शुद्धचैतन्य’ और फिर ‘दयानन्द’ बन गये लेकिन उन्हें पूरे भारत में ऐसा कोई योगी गुरू नहीं मिल पाया जो उन्हें ‘सच्ये शिव’ के दर्शन करा देता।
योगी गुरू की खोज में असफल होने के बाद उन्होंने स्वामी बिरजानन्द जी से थोड़े समय वेदों को जानने-समझने का प्रयास किया। इस दौरान उन्होंने मथुरा, काशी और वृन्दावन आदि तीर्थों की यात्रा भी की।
जहां उन्होंने प्रत्येक स्तर पर व्याप्त पाखण्ड, भ्रष्टाचार और अनाचार को खुद अपनी आंखों से देखा । तब उन्होंने अपनी सामर्थ्य भर हिन्दू समाज के सुधार का बीड़ा उठाने का निश्चय किया दयानन्द जी वास्तव में पूजा का खंडन किया। उन्होंने हिन्दू राजाओं को वेश्यागमन से रोका।
लेखक | अनवर जमाल-Anvar Jamal |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 42 |
Pdf साइज़ | 1.3 MB |
Category | इतिहास(History) |
स्वामी दयानन्दजी परिचय – Swami Dayanandji Pdf Free Download