सुदर्शन सुमन – Sudarshan Suman Story Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
तार अढ़ाई साल वर्षा न हुई । किसान रोते थे । तालाब, नदी, नाले सब सूख गए। पानी सिवाय आंखों के कहीं नजर न आता था । मुझे वे दिन आज भी कल की तरह याद है जब हम लंगोटे लगाए,
मुंह काले कर बाजारों में डण्डे बजाते फिरते कि शायद इसी तरह वर्षा होने लगे। मगर वर्षा न हुई। लड़कियां गुड़ियां जलाती थीं; और उनके सिर पर खड़ी होकर छाती कूटती थी ।
पानी बरसाने का यह नुस्खा उस युग में बड़ा कारगर समझा जाता था, लेकिन उस समय इनसे भी कुछ न बना। मुसलमान मसजिदों में नमाज पढ़ते, हिन्दू मन्दिरों में पूजा करते,
सिक्त गुरुद्वारों में ग्रंथ साहब का पाठ करते। मगर वर्षा न होती थी । भगवान कृपा ही न करता था । दुनिया भूखों मरने लगी। बाजारों में रोनक न थी, दुकानों पर ग्राहक न थे,
घरों में अनाज न था। ऐसा मालूम होता था, जैसे प्रलय का दिन निकट आ गया है और सबसे बुरी दवा जाटों की थी। मेरा बाबा कहता बा, इस समय उनके चेहरे पर खशी न थी ।
आंखों में चमक न थी, शरीर पर मास न पा । सदी आागे आकाश की ओर लगी रहती थी मगर बहा दुर्भाग्य की घटाए थी, पानी की धटाएं न मीं। अनाज रुपये का बीस सेर बिकने लगा।
मैंने आश्चर्य से पूजा – बीस सेर जी हा, बीस सेर उस समय यह भी बहुत महंगा था । आजकल रुपये का सेर विकने लगे सो भी बाब नोग अनुभव नहीं करते । मगर उस समय यह दमा न पी। फिर ना। अना बहुत महंगा हो गया, लोग रोने ला । महाबर बरतन सब बकरवा गरम
लेखक | सुदर्शन-Sudarshan |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 238 |
Pdf साइज़ | 12.6 MB |
Category | कहानियाँ(Story) |
सुदर्शन सुमन – Sudarshan Suman Book/Pustak Pdf Free Download