हिन्दू जाति का उत्थान और पतन – Hindu Jati Ka Uthan Aur Patan Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
चार्य और बनाय्य-इसी हिन्यू जाति का उत्थान और पतन इस ग्रंथ का विषय है। पर इसके पहले हमें यह जान लेना उहरी है कि वर्तमान हिन्दू जाति की खत्पचि बैसे हां और इस जाति का भारत के प्राचीन आण्यों तथा अना्थ्यों के साथ कीन सा सम्बन्ध है।
भारतीय मार्य भारत में कहीं बाहर से आए या वे यही के रहने वाले थे, इसका विरेचन इस पुस्तक का ध्वेय नहीं है;
पर बटुपत उनके बाहर से आने के ही पक्ष में है और इनना तो निर्विवाद है कि आव्य किवो शीतप्रधान देश के रहने वाले थे
जिससे उनका लम्बा का, गौर वर्ण, नाक की हड्डी पतली और ऊँची तथा आँखें और केश मूरे रंग के वे ।
इसके विपरीत भारत जैसे उध्प्रधान देश में चिरकाल से रहने के कारण अनार्यो का रंग श्याम, कद छोटा, नाक की इहा कुछ चौड़ी और नीची तथा आँखें और केश काले दुआ करते थे।
इन दोनों जातियों में एक और भी भेद था । पार्यो की खोपड़ी लम्बी और अनावों की गोल होती थी पर इतना आकृतिक भेद होने के कारण ऐसा नहीं समझ लेना चाहिए कि ये दोनों जातियाँ सदा एक दूसरे से पृथक् रही ।
हमें अपने धम्मे-पन्थों त्था इतिहास से पता चलता है कि पहले वैदिक काल में इन दोनों जातियों के बीच चोर सर्प न ला; पर धीरे-धीरे दोनों का मनोमालिन्य दूर होता गया और वे एक दूसरे के समीप आती गई, यहाँ तक कि दोनों में धैध किया अवैध सभी प्रकार से यौन सम्बन्ध भी जारी हो गये जो अब तक जारी हैं।
इसका फल यह था कि कुछ जंगली तथा असभ्य कहलाने वाली जातियों को छोड़ कर, बामण से लेकर |
लेखक | रजनीकांत शास्त्री-Rajnikant Shastri |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 367 |
Pdf साइज़ | 28.5 MB |
Category | विषय(Subject) |
हिन्दू जाति का उत्थान और पतन – Hindu Jati Ka Uthan Aur Patan Book/Pustak Pdf Free Download