श्री सूक्तम पाठ अर्थ सहित – Sri Suktam Lyrics With Meaning, Mp3 PDF Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
श्रीसूक्त – श्रीसूक्त ऋग्वेद का खिल सूक है। ऋग्वेद के पांचवें मण्डल के अन्त में यह उपलब्ध होता है। सूक्त में मन्त्रों की संख्या पन्द्रह है। सोलहवें मन्त्र में फलश्रु ति है।
बाद में ग्यारह मन्त्र परिशिष्ट के रूप में उपलब्ध होते हैं। इनको लक्ष्मीसूक्त के नाम से स्मरण किया जाता है। ऋषि – आनन्द, कर्दम, श्रीद और चिक्कीत ये चार श्रीसूक्त के ऋषि हैं।
इन चारों को श्री का पुत्र बताया गया है। श्रीपुत्र हिरण्यगर्भ को भी श्रीसूक्त का ऋषि माना जाता है। छन्द – चौथा मन्त्र बृहती छन्द में है।
पांचवाँ और छटा मन्त्र त्रिष्टुप छन्द में है। अन्तिम मन्त्र का छन्द प्रस्तारपंक्ति है। शेष मन्त्र अनुष्टुप छन्द में है। देवता – श्रीशब्दवाच्या लक्ष्मी इस सूक्त की देवता हैं ।
विनियोग – इस सूक्त का विनियोग लक्ष्मी के आराधन, जप, होम आदि में किया जाता है। महर्षि बोधायन, वशिष्ठ आदि ने इसके विशेष प्रयोग बतलाये हैं।
श्रीसूक्त की फलश्रुति में भी इस सूक्त के मन्त्रों का जप तथा इन मन्त्रों के द्वारा होम करने का निर्देश किया गया है।
सरसिजनिलये सरोजहस्ते
धवलतरांशुकगन्धमाल्यशोभे ।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे
त्रिभुवनभूतकरि प्रसीद माम् ॥८॥
हे भगवति ! आप कमल में वास करती हो, आपके हाथों में कमलपुष्प हैं, आप प्रति श्वेत वस्त्र, चन्दन माला से सुशोभित हो, आप भगवान् की प्रेयसी हो, सुन्दर हो तथा त्रिलोकी को ऐश्वर्य प्रदान करने वाली हो, आप मुझ पर प्रसन्न हों ।
विष्णुपत्नीं क्षमां देवीं माधवीं माधवप्रियाम् । लक्ष्मों प्रियसखीं देवीं नमाम्यच्युतवल्लमाम् ॥६॥
हे लक्ष्मि ! आप विष्णु पत्नी हैं, दयामयी हैं, प्रकाशमयो हैं, माधव की प्रिया माधवी हैं, लक्ष्मी हैं, विष्णु की प्रिय संगिनी हैं विष्णु की प्रेयसी हैं। मैं आपको प्रणाम करता हूँ।
महादेव्यं च विद्महे, विष्णुपत्न्यं च धीमहि । तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ॥ १०॥
हम महादेवी का ज्ञान प्राप्त करते हैं, विष्णुपत्नी का ध्यान करते हैं, वह लक्ष्मी हमारी बुद्धि को भगवान् की ओर प्रेरित करें ।
लेखक | राघवाचार्य-Raghavacharya |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 32 |
Pdf साइज़ | 7.7 MB |
Category | धार्मिक(Religious) |
श्री सूक्तम Mp3 Free Download
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