शिशुपाल वध महाकाव्य | Shishupalvadham PDF

शिशुपाल वध महाकाव्य – Shishupal Vadh Mahakavya Book PDF Free Download

शिशुपालवधम् प्रथम सर्ग

मण्डलाकार गति विशेष से चल रहे थे। इसमें घोडे की गति एव चायुक के लक्षणों की शास्त्रीय बालो को चर्चा की गयी है |

१-लगाम के नियंत्रण में कदाल एक घुडसवार अव्यग्र अर्थात् शान्त स्वभावषाले भली भांति सुसज्जित एव मुखरमें अर्थात् हो दिशाओ में मुख करने में प्रवीण एक अश्य वो युद्धादि के उत्तर काल में करने योग्य कार्यों ये लिए असकीर्णरुपा अर्थात् सरपट नामक विशेष गति को सिखाने के लिए नयो प्रकार की बोलियों का अभ्यास कराने रगा।

२-दूसरे गजराज के मद फी सुगन्य पाकर एक गजराज कोध में साथ अपने मुखस्य जल को बाहर साफ कर समुद्र तट पर मसल ये समान दोनों विशाल दांतों के प्रहार करने के वेग को निरूद्ध करते हुए बोई अवरोधक न होने फे कारण स्वय गिर पडा ।

३-एक गजराज ने अनियत्रित स्यच्छन्दता प्राप्त की । उसने अपने चिर परिचित महान् स्तभ को एकाएक तोड दिया ।

हस्त ( दुण्ड) के अग्रभाग को आद्र (गोला) करके प्रचुर मात्रा में दान दिया अर्थात् मद जल गिराया, तया घारो ओर से पिछले परो पोबयने याली बेडियो को तोड डाला । गजराज की

भाँति राजा भी इसी प्रकार की उज्ज्वल स्वतंत्रता प्राप्त करता है। यह भी अपने जातों को ोरक से याणों फो दान यता हं तयार ऊँटा तथा जगली सोडा और बैग की प्रकृति का कवि न इसना स्याभाविक और सुन्दर वणन विया है कि उसमें रखाचित्र प्रस्तुत करन की पूर्ण क्षमता है। दूध दुहृत हुए गोपो,

सत की रखवाली करनवाली गृहस्य रमणियो, हाथी, घोड़ा, ऊओर खर्चर हाक्नवाले राजवमचारियो क चित्रण में एव उनवी विभिन्न चेप्टाओ के वर्णन में कवि ने चित्रकार का भी चुनौती दे दी है।

सचमुच मवि है। इन बाता से यह भी पता लगता है कि उसका चित्रकला पर भी अच्छा अधिकार या ।

लेखक राम प्रताप त्रिपाठी -Ram Pratap Tripathi
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 583
Pdf साइज़10.5 MB
Categoryकाव्य(Poetry)

शिशुपाल वध द्वितीय सर्ग – Shishupal Vadh Mahakavya Book/Pustak Pdf Free Download

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