भारत के शहीदों की किताब – Shahido Ke Tarrane Book/Pustak Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
राष्ट्रपति जवाहरलाल जेलमें। गया जेल में है हमारा जवाहिर । वह मोतीकी आंखोंका तारा जवाहिर । गुलामीकी जंजीरको जिसने तोड़ा । वृटिश कूट नीतिके भंडाको फोड़ा । अहिंसाका करमें लिया उसने कोड़ा।
पड़ा कूद संग्राम में मुंह न मोड़ा। जो था मात भारतका प्यारा जवाहिर। गया जेल में है हमारा जवाहिर। गुलामी की जंजीर में जो कसे थे। गवरमेन्ट के लाभ जो फंसे थे। युवक देशके भागमें जो फँसे थे ।
निराशा के जो मन्दिरोंमें बसे थे । उठाकर उन्हें यह उचारा जवाहिर । गया जेल में है हमारा जवाहिर । किया दूध का दूध पानी का पानी।पढ़ी कैद में मात भारत भवानी। हो आजाद भारत यही ठान ठानी।
न आगे पड़े जिसमें सख्ती उठानी । यही दिल में अपने विचारा जवाहिर। गया जेल में है हमारा जवाहिर हुआ मुल्क आजाद क्यों सो रहे हो। बनायो नमक वक्त क्यों खा रहे हो । अभीसे ही हिन्मत को क्यो हर रहे हो ।
बढ़ाओ कदम बेर क्यों कर रहे हो। यही गांधी ने पुकारा जवाहिर। गया जेल में है हमारा जवाहिर। जिमींदार करते किसानों पर सख्ती । वृटिशकी थींबूनो कृपाणे चमकती। लिया शीत्र ही करमे नीतिकी तख्ती।
थी बाजादीकी दिलमें ऋझ धधकरती । किसानों की नूरे नजर जवाहिर । गया जेलमें है हमारा जवाहिर है बच्चे बच्चेकी जरांपर उस्का फिसाना । वो शेरे नर पंजाब दिलेराना भगतसिंह ।
एसम्बलीकी मिटिंगमें बम फेंकके यारों, एक बोल खुदी कर गया मरदाना भगतसिंह । गैरों को मुसीबतमें फंसा देखके यारों, अपनी ही जां पै खेल गया दाना भगतसिंह । लाहौरके थानोंमें पर्चे लाल बांट के, कहता था सितम अब कभी मत ढाना भगतसिंह हड़ताल मनाइ गई हिन्दोस्तानमें, चस कर गया
लेखक | भोलानाथ दर्दी-Bholanath Dardi |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 15 |
Pdf साइज़ | 1 MB |
Category | Poetry |
भारत के शहीदों की किताब – Shahido Ke Tarrane Book/Pustak Pdf Free Download