सतपंथ धर्म दर्शन | Satpanth Dharm Darshan PDF In Hindi

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सतपंथ धर्म दर्शन – Satpanth Dharm Darshan Pdf Free Download

सतपंथ धर्म दर्शन

सद्गुरु श्री इमामशाह महाराज जब भारतकी पावन धरती पर ई.सन् चौदवी सदी में जन्म धारण करके और अपने कदमों को रखे और उन्होंने भारतीय वांग में मूल श्रुत वेद का दर्शन किया

वेद प्रतिपादीत वैदिक प्रणाली जो धर्म था उस धर्म का उन्होंने स्वीकार कीया । औसा नहीं है की सदगरु श्री इमामशाह महाराजने किसे नये धर्मका निर्माण किया है, प्रतिष्ठा की हो,

ऐसा नहीं है बल्के जो अनादि काल से चलते आ रहा वैदिक धर्म को श्री इमामशाह महाराजने स्वीकार किया । ऐसे इमामशाह महाराजने जब देखा की पावन धरती पर रहने वाले करोडो हिन्दुओ

अपने अनादि कालीन वैदिक धर्म को भूल रहे है और अनादिकालीन वैदिक धर्म को भूलने के कारण दुःख और विपत्ति के शिकार हो रहे हैं, तो बढी ही इमानदारी से इस करोडो आर्यवत

में रहनेवाले हिन्दुओं को वैदिक धर्म का संदेश देने का उत्तरदायीत्व श्री इमामशाह महाराजने स्वीकार किया. और उसे वैदिक पर्मका संदेश देनेके कारण करोडो करोड़ो आर्य और अपना पूज्य माना ।

इस लिये माना की इनके संदेश से हम सबका कल्याण हुवा । भारत देश धर्म परायण देश है । यहाँ हिन्दु धर्म के सनातन मार्ग पर चलनेवाले अनेक संप्रदाय है ।

ऐसे संप्रदायों में एक है सतपंथ धर्म । यह सतपंथ एक विशिष्ट प्रकार का धर्म है जिसके आधार और आरंभ सनातनमार्ग से हुआ है। इस लिये हिन्दु संस्कृति की सात्विक विचार धारा से संलग्न तत्वज्ञान का भरपूर खजाना इस धर्म में है।

इस लिये सतपंथ धर्म के सिधांत और आदर्श का प्रतिपालन ही मोक्ष मार्ग का उत्तम साधन माना गया है।यह पवित्र सत्पथ धर्म केबी इमामशाह महाराज एक सूफी संत मनोमा.

जिसके द्वारा इस विश्व में व्यापक अन्यान्य देवी देवताओं की उपासना भक्त कर सकता है। सूर्य, चंद्र, इन्द्र, वायु, वरुण, अग्नि, सोम, विश्वकर्मा, विराता आदि अनेकानेक देवताओं जीन पर मनुष्य जीवन उपलंबित रहेता है।

जीसकी उपासना करने से मनुष्य मुक्ति तक पहुँच जाता है। यह पूजा अथर्ववेद के आधार पर श्री ईमामशाह महाराजने बतलाई है ।

और चौथी बात आती है अवतार बाद याने कि अवतार की उपासना युग धर्म के अनुसार इस कलियुगमें जो होनेवाला अवतार है श्री निष्कलंकी नारायाण भगवान की उपासना करने से उसका नाम स्मरण और गायत्री मंत्र से ध्यान चिंतन करने से श्री निष्कलंकी नारायण भगवान अपने हृदय में प्रगट होते है।

श्री निष्कलंकी नारायण भगवान अब प्रगट नहीं है। फिर भी उसका स्वरुप प्रगट करना हो तो उसका ध्यान अपने हृदय में अंतःकरण में उसका ध्यान स्मरण करने से वो अपने हृदयमें स्थित होते है ये ध्येय और उदेश श्री ईमामशाह महाराजजीने बतलाया है।

इस ज्ञानी और योगी धर्मात्मा ने मानव कल्याण का मुख्य साधन शुद्धाचरण और सात्विकता है, ऐसा द्रढतापूर्वक कहकर प्रत्येक मनुष्य को अपनी दिनचर्या में विधिवत् पालन करने का आदेश दिया है।

विशेषतः सर्व धर्म सम भाव और सहिष्णुता युक्त आदरभाव का पालन करने का उपदेश देकर जगत के सभी संत, महंत, साधु, ऋषिमुनियों को बडा आदर दिया है। उनकी द्रष्टि से सभी धर्म और संप्रदाय मानवमात्र को सत्य के मार्ग पर ले जाने वाले हैं।

ऐसे सभी सामान्य मनुष्य धर्मकी सच्ची भावना, भजन, पूजा, जप-तप सेवाभाव, संत समागम और व्रत द्वारा प्राप्त कर शके यह उद्देश्य से श्री इमामशाह महाराजने घटपाट पूजन का आदेश देकर साधन प्रदान किया है।

दान धर्म का महत्व और महिमा प्रदर्शित करते हुए उन्होंने कहा है, कि मानव मात्र का अपनी निजी कमाई का दस्यों या बीसवाँ हिस्सा देवमंदिर या सुपात्र स्थान में दान के रूप में अर्पण करना चाहिये.

लेखक करसनदासजी महाराज-Karsandasji Maharaj
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 42
Pdf साइज़6.4 MB
Categoryधार्मिक(Religious)

सतपंथ धर्म दर्शन – Satpanth Dharm Darshan Pdf Free Download

2 thoughts on “सतपंथ धर्म दर्शन | Satpanth Dharm Darshan PDF In Hindi”

  1. गोपाल किसन पाटील

    सदर लेखामध्ये मराठी आणि हिंदी यांची मिसळ झाली आहे समजणारा ला आपला मजकूर समजन्यास खूप अवघड जाते.

    1. इस किताब की मूल भाषा हिंदी है, जिसमे आपको और भी भाषा के कुछ लेख मिलेंगे

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