सांख्यिकी के सिद्धांत – Principle of Statistics Book Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
सामग्री अनावश्यकीय है, इसलिए शेती जा सकती है। यह निश्चित हो जाने के अनुसंधान में अपिक परिजुदवा (nccuracy) या नाती है। इसके साथ-साथ अनुसंधान का क्षेत्र जानना भी आवश्यक है ।
प्रारम्भ करने से पूर्व यह निश्चित कर लेना चाहिये कि दौहुईसमस्या के हस के लिए यहाँ तक समकों का उपयोग किया जा सकता है। जो भी सामग्री सहीत की जाती है उसका पूर्ण होना आयश्यक है।
पर अगर पूर्णता पर ही विचार किया जाय तो यह इतनी विस्तृत हो जायगी कि विषय के बारे में भ्रान्ति हो जाय और संग्रहीत सामग्री, समस्या का हल निकालने के लिए अनुपयुक्त हो जाय ।
अनुसंधान का चेत्र निश्चित करते समय साननी-पर्याप्तता, सामग्री उपयोगिता और समय एवं व्यय पर विचार करना पड़ता है
अनुसंधान का आयोजन (Planning of the Investigation)समस्या का उद्देश्य और क्षेत्र निश्चित करने के बाद अनुसंधान का आयोजन किया जाता है अर्थात् यह निश्चित किया जाता है कि सामग्री-संग्रहन किस प्रकार किया जायगा।
प्रायोजक सर्वप्रथम यह निश्चित करता है कि दी हुई समस्या के लिए तत्सम्दन्दी समृप्र (uaiverse) के प्रत्येक सदस्य के बारे में अलग-अलग जानकारी मात करनी है या इस समय के प्रतिनिधियों को समूह के रूप में बुन कर इन समूहों के प्रत्येक सदस्य के बारे में जानकर,
निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं। यदि यह यह समझता है कि प्रत्येक सदस्य के बारे में अलग-अलग जानना आवश्यक है तो कहा जाता है कि अनुसंधान संगणना अनुसंधान (census inquiry) के अनुसार किया गया है।
इसका उपयोग बहुत कम होता है, पर जन-गगाना इस प्रकार के अनुसंधान का उदाहरण है । इसके विपरीत कुछ समूहों को प्रतिनिधि मान कर अनुसंधान करने की रीति को निदर्शन-चनुसंबान (3ample-enquirg) कहते हैं।
लेखक | देवकीनंदन-Devkinandan |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 538 |
Pdf साइज़ | 30.1 MB |
Category | साहित्य(Literature) |
सांख्यिकी के सिद्धांत – Sankhiki Ke Siddhant Book/Pustak Pdf Free Download