स्त्री और पुरुष – Tolstoy Book Relation of The Sexes Pdf Free Download

Tolstoy Book Relation of The Sexes का अनुवाद
समाज के प्राय सब लोगों में यह धारणा जड पकड़ गया है और झूठे विनान के द्वारा इसका समर्थन भी किया जाना है कि विषयभोग (मैथुन) स्वास्थ्य-रक्षा के लिए नितान्त आवश्यक है।
लोग कहते है कि विवाह कर लेना प्रत्येक मनुष्य के हाथ में नहीं है, इसलिए विवाह न करके व्यभिचार द्वारा अपनी विषय चुधा को शान्त करना पूर्णतया स्वाभाविक है । सिवा पैसे के इसमे मनुष्य पर किसी प्रकार का बन्धन भी नहीं है। अत इसको प्रोत्साहन देना चाहिए।
यह भम-मूलक धारणा जनसाधारण में इतनी फैल गयी है कि कितने ही माता-पिता अपने बच्चों के स्वास्थ्य के विपय में चिन्तित हो, डाक्टर की सलाह लेकर, उन्हें इस बुरे कार्य के लिए उत्साहित करते हैं ।
सरकारे भी, जिनका धर्म है कि वे अपनी प्रजा के नैतिक जीवन को उच्च बनायें, इन दुर्गुणों को उत्ते जना देती हैं ।
उन्होंने स्त्रियों के एक पृथक् वर्ग की ही व्यवस्था कर ली है, जिन कार्यों को पुरुषों की इन काल्पनिक आवश्यताओं को पूरा करने की खातिर शारीरिक और आत्मिक विनाश के गड्ढे में पड़ना पड़ता है और अविवाहित पुरुष बिलकुल चुपचाप इस घुराई के पंजे में फैसते चले जाते हैं ।
मैं कहना चाहता हूँ कि यह बुरा है। यह जरूरी नहीं है कि कुछ लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए दूसरों के शरीर और धारमा को बर्बाद किया जाय ।
कुछ आदमियों का अपने स्वास्थ्य लाभ के लिए दूसरा का खुन पीना जितना बुरा होगा उतना ही बुरा यह कार्य है।
मैं तो इससे यही नतीजा निकाल सकता हूँ कि प्रत्येक मनुष्य को चाहिए कि वह इस गलती और भ्रम से बचे।
और इन बुरा इयों से बचने का सबसे सरल उपाय तो यही है कि वे किसी भी अनीतिकर शिक्षा पर विश्वास न करें। भले ही झूठा विज्ञान इसका कितना ही समर्थन करे।
लेखक | Tolstoy |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 160 |
Pdf साइज़ | 5.1 MB |
Category | प्रेरक(Inspirational) |
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