रत्न विज्ञान – Ratna Parichay Book Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
वेदो के आध्यात्मिक, प्राधिदैविक तथा प्राधिभौतिक आदि अनेक प्रकार से मर्थ किये जाते है ।
आधिभौतिक अर्थ से यहा यह बात तो सर्वथा रपष्ट है कि अग्नि रत्नो या पदार्थों का सर्वोत्तम धारक और उत्पादक है । इस पद (धातमम्) मे आये ‘घा’ धातु के अनेक अर्यो मे एक अर्थ उत्पन्न करना भी है।
अग्नि को रत्न पदार्थों का उत्पादक कहने से क्या-क्या अभि प्राय हो सकते हैं-इसका विस्तार से विवेचन करना प्रसग से बाहर की बात है
परन्तु इससे इतनी वात तो सर्वथा स्पष्ट ही प्रतीत होती है कि अग्नि’ की शक्ति के सम्पर्क से ‘रत्न’ बनते हैं । आश्चर्य है कि आज के वैज्ञानिक भी इसी परिणाम पर पहुँचे है।
रत्न कसे उनते है-इस प्रश्न का उत्तर देते हुए अमरीकी विश्व कोष ने ‘Gemstones’ शब्द पर टिप्पणी देते हुए स्पष्ट लिखा है कि अधिकाश रत्न प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से ‘ताप-प्रक्रिया के परिणाम है ।
हा, असाधारण रूप से जव दशाये अनुकूल होती हैं-तभी विविध सत्यो के रासायनिक मेल से विविध रत्न बन पाते है।
रत्नो के बनने को प्रक्रिया की व्याख्या करते हुए आधु निक वैज्ञानिक बताते है कि कार्बन आदि तत्त्वो के परमाणु बहुत अधिक ताप (गरमी) व अत्यधिक दबाव के प्रभाव में प्रा कर आपस मे इतने और इस प्रकार जुड़ जाते हैं-सश्लिष्ट हो जाते है कि वे एक निश्चित क्रम अथवा व्यवस्था में था जाते है।
एक विशेष प्रकार के चमकदार पदार्थ बन जाते है-जिन्हे हम रवा’ स्फटिक, मणिभ अथवा क्रिस्टल (Crystal) कहते है। पृथ्वी के भीतर इस प्रकार बने कुछ रखो में कई ऐसी अद्भुत विशेषताएं उत्पन्न हो जाती है कि देखने वाले को वे प्यारे लगने लगते है-त्रस तो रत्न पदार्थ वही कहलाये कि जिनमे मनुश्य का मन रमा; मनुष्य पहले पहल तो इनके ऊप
लेखक | हरिश्चंद्र विद्यालंकार-Harishchandra Vidyalankar |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 162 |
Pdf साइज़ | 6.1 MB |
Category | साहित्य(Literature) |
रत्न परिचय – Ratna Parichay Book/Pustak Pdf Free Download