हिंदी भाषा शिक्षण – Hindi Education Book Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
ब्रह्म, “” विष्णु और “म्” शिव का स्वरूप है। अर्ध मात्रा (चन्द्र बिं) साक्षात् भगवती शिवा हैं । संक्षेप में यही भाषा का दार्शनिक पक्ष है।
शरीर में भाषा का मूल निवास हमारा नाभिकुंड है । वाणी पर आने से पूर्व यह परा, पश्पन्ती, मध्यमा, वैखरी आदि प्रक्रियाओं से गुजरती है।
वागिन्द्रियों द्वारा उच्चरित यही भाषा मानव भाषा कहलाती है यहाँ हमारी लक्ष्य भाषा यही मानव भाषा है।
पशु-पक्षी भी अपनी बागिन्द्रियों से ध्वनियों का उच्चारण करते हैं । किन्तु हमारे लिए वे ध्वनियाँ निरर्थक हैं। हमारे अध्ययन का विषय सार्थक ध्वनियों से निर्मित शब्द ही हैं
कुछ लोग सड़कों पर अंकित संकेत चिह्नों, झंडी, टार्च के प्रकाश से दिए गए संकेतों को भी भाषा के अन्तर्गत सम्मिलित करते हैं । इसी प्रकार गूँगों-बहरों द्वारा प्रयुक्त संकेत भी हमारी सामान्य स्कूलों की भाषा के विषय नहीं हैं। II.
भाषा की परिभाषा
भाषा के उपर्युक्त विवेचन के आधार पर इसे कुछ शब्दों के माध्यम से परि भाषित कर सकना एक कठिन कार्य है अप् व्यावहारिक कार्य के लिए इसकी कुछ परिभाषाएँ दी जा सकती हैं।
हम कह सकते हैं कि जिस वार्तालाप या लेख के माध्यम से हम अपने विचारों को प्रकट करते हैं, वही भाषा है। अर्थात् भाषा के दो रूप हैं उच्चरित और लिखित ।
प्रयोक्ता अपने विचारों को प्रकट करने के लिए शब्दों का आश्रय लेता है। ये शब्द भी किन्हीं ध्वनि प्रतीकों से निर्मित हैं।
वे ध्वनि प्रतीक सार्थक हैं। इसी प्रकार लेखन के समय भी हम ध्वनि के प्रतीक चिह्नों का आश्रय लेते हैं। ये ध्वनि प्रतीक भी सार्थक है। संक्षेप में भाषा सार्थक ध्वनि प्रतीकों की वह व्यवस्था है जिसके द्वारा इसके प्रयोक्ता या श्रोता आ
लेखक | जय नारायण कौशिक-Jay Narayan Kaushik |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 489 |
Pdf साइज़ | 31.1 MB |
Category | साहित्य(Literature) |
हिंदी शिक्षण – Hindi Bhasha Shikshan Book/Pustak Pdf Free Download