राजस्थान का इतिहास – Rajasthan Ka Itihas Book/Pustak Pdf Free Download

राजस्थान का इतिहास
मायालाय रच बक बीर बोधा इसे गाढकहै जो भी हो-हमीरकी श्री विजय बोरसपायी वार ने बनाकर अपनी लिमि का अभिवान ।
रामा मी परमार सक कर न भर आर के अपने बहिन बुवा र की र सौटते हुए दस स्थानों को विजय सर मेने बरधा सी इ विभया मे।
सोमवार का लोहा मानने वाले व हमीर को बैंकर और सम्मान देने वाले मामाँ की विनती चिसती से मेरा सक हे दस राज्यों में फैली मीर एक और चित्तौड़ मायो,
गाजीपुर, गा, पुष्कर, मेरठ, बड़वा, पणा और मकरिता को जीतकर अपने बीन कर लिया इसकी अन्तिम निजन की भी।
बारव शर्मा ने निशे मेरठ कहा है उसे हमीर महाका में महाराष्ट्र कहा है और करोली को त्रिपुरा नगरी भी कहा गया है । मोर ने अरना दह विजय अभियान 1288.गुरु किया था।
बसवन शिनानेय से इन बिनयो का वर्न और तिथि का पता चलता है।
इन सब विश्व के अतिरि्त म सूरी मे हमीर महाकाल में एक बार परमार राजा का बर्णन किया है जिसे हमीर में धार नामक स्थान पर पराजित किया था।
ये संक्रमण तो हरी ने दूसरे राज्यों पर किये में। महां उन दो भाक्रमों भावग भी करना उचित होगा जो मुगरामाग सरको मे हमीर पर किये थे।
आक्रमणकारी विजी वंश के सुलतान कालीन ताजुद्दीन एलरजी मे। विमजी और उसका भतीजा असाही खिलजी का मारण–मुहम्मद गौरी द्वारा दिल्ली से निकासित किये जाने के बाद से रणथम्भौर चौहान का सबसे वढ़ा गढ़ था ।
कुबुबुर्ोन ऐवक ने इस किले पर 1209 ई० में सपना जागरण किया था।
इस्तुतमिश 1226. में इसे बहादुरी से गई विश्वास भात से जीत लिया था जिसे रजिया के समय में राजपूतो में पुनः स्वतन्ज कर लिया ।
बहन ने 1249 में बहाँ हुी राच्य स्थापित करना चाहा पर असफल रहा । इतिहासकार [साल पुस्तक ‘वितजी वंश का इतिहास के पृष्ठ 26 पर लिखते है कि सन् 1282 |
लेखक | बी। एम। दिवाकर-B. M. Diwakar |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 458 |
Pdf साइज़ | 11.3MB |
Category | इतिहास(History) |
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