कुरान मजीद | Quran Majeed PDF In Hindi

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कुरान मजीद – Quran Majid PDF Free Download

कुरान मजीद

पालनहार होने का अर्थ यह है कि जिस ने इस विश्व की रचना कर के उस के प्रतिपालन की ऐसी विचित्र व्यवस्था की है कि सभी को अपनी आवश्यकता तथा स्थिति के अनुसार सब कुछ मिल रहा है।

विश्व का यह पूरा कार्य, सूर्य बाधु, जल, धरती सब जीवन की रक्षा एवं जीवन की प्रत्येक योग्यता की रखवाली में लगे हुऐ है. इस से सत्य पूज्य का परिचय और ज्ञान होता है।

अर्थात बह विश्व की व्यवस्था एवं रक्षा अपनी अपार दया से कर रहा है, अतः प्रशंसा और पूजा के योग्य भी मात्र वही है।

प्रतिकार (बदले) के दिन से अभिप्राय प्रलय का दिन है। आयत का भावार्थ यह है कि सत्य धर्म प्रतिकार के नियम पर आधारित है अर्थात जो जैसा करेगा वैसा भरेगा।

जैसे कोई जी बोकर गेहूँ की, कथा आग में कूद कर शीतल होने की आशा नहीं कर सकता, ऐसे ही बने, बुरे कर्मों का भी अपना स्वभाविक गुण और प्रभाव होता है।

फिर संसार में भी कर्मों का दुष्परिणाम कभी कभी देखा जाता है। परन्तु यह भी देखा जाता है कि दुराचारी, पर अत्यचारी सुखी जीवन निर्वाह कर लेता है, और उसकी पकड इस संसार में नहीं होती, इस निये न्याय के लिये एक दिन अवश्य होना चाहिये।

उसी का नाम कयामत- (प्रलय का दिन) है। प्रतिकार के दिन का मालिक होने का अर्थ यह है कि संसार में उस ने इन्सानों को भी अधिकार और राज्य दिये है।

परन्तु प्रलय के दिन सब अधिकार उसी का रहेगा। और बही न्याय पूर्वक सब को उन के कुत्तों का प्रतिफल देगा।

इन आदतों में प्रार्थना के रूप में मार आबाह ही पूजा और उसी को सहायतार्थ गुजरने की शिक्षा दी गई है। इस्लाम की परिभाषा में इसी का नाम तौहीदर (एकेश्वरवाद) है।

पालनहार होने का अर्थ यह है कि जिस ने इस विश्व की रचना कर के उस के प्रतिपालन की ऐसी विचित्र व्यवस्था की है कि सभी को अपनी आवश्यकता तथा स्थिति के अनुसार सब कुछ मिल रहा है।

और विश्व का यह पूरा कार्य, सूर्य, वायु, जल धरती सब जीवन की रक्षा एवं जीवन की प्रत्येक योग्यता की रखवाली में लगे हुए हैं. इस से सत्य पूज्य का परिचय और ज्ञान होता है।

2 अर्थात वह विश्व की व्यवस्था एवं रक्षा अपनी अपार दया से कर रहा है, अतःप्रशंसा और पूजा के योग्य भी मात्र वही है।

3 प्रतिकार (बदले) के दिन से अभिप्राय प्रलय का दिन है। आयत का भावार्थ यह है कि सत्य धर्म प्रतिकार के नियम पर आधारित है।

अर्थात जो जैसा करेगा वैसा भरेगा। जैसे कोई जौ बोकर गेहूँ की तथा आग में कूद कर शीतल होने की आशा नहीं कर सकता. ऐसे ही भले बुरे कर्मों का भी अपना स्वभाविक गुण और प्रभाव होता है।

फिर संसार में भी कुकर्मों का दुष्परिणाम कभी कभी देखा जाता है। परन्तु यह भी देखा जाता है कि दुराचारी, और अत्यचारी सुखी जीवन निर्वाह कर लेता है.

और उसकी पकड़ इस संसार में नहीं होती. इस लिये न्याय के लिये एक दिन अवश्य होना चाहिये। और उसी का नाम क्यामत (प्रलय का दिन) है।

प्रतिकार के दिन का मालिक होने का अर्थ यह है कि संसार में उस ने इन्सानों को भी अधिकार और राज्य दिये हैं। परन्तु प्रलय के दिन सब अधिकार उसी का रहेगा। और वही न्याय पूर्वक सब को उन के कर्मों का प्रतिफल देगा।

4 इन आयतों में प्रार्थना के रूप में मात्र अल्लाह ही की पूजा और उसी को सहायतार्थ गुहारने की शिक्षा दी गई है। इस्लाम की परिभाषा में इसी का नाम तौहीद (एकेश्वरवाद) है।

जो सत्य धर्म का आधार है। और आवाह के सिवा या उस के साथ किसी अन्य देवी देवता आदि को पुकारना, उस की पूजा करना, किसी प्रत्यक्ष साधन के बिना किसी को सहायता के लिये गुहारना, क्षचवम अथवा किसी व्यक्ति और में आवाह का कोई विशेष गुण मानना आदि एकेश्वरवाद (तौहीद) के विरुद्ध है जो अक्षम्य पाप है। जिस के साथ कोई पुण्य का कार्य मान्य नहीं।

लेखक अजीजुल हक उमरी-Azizul Haq Umri
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 1331
Pdf साइज़29.7 MB
Categoryधार्मिक(Religious)

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