कबर की पहली रात – Qabar Ki Pehli Raat Book/Pustak PDF Free Download

पुस्तक के कुछ मशीनी अंश
जिन्दा होता है मगर शीर ख़्वार या’नी दूध पीता पोता मौत के घाट उतर जाता है, किसी के नाना जान क्या होते हैं मगर अम्मी जान दागे मुफ़ा-रगत (या’नी जुदाई का सदमा) दे जाती हैं।
हम में से किसी के घर से उस के भाई का जनाज़ा उठा होगा, किसी की मां ने निगाहों के सामने दम तोड़ा होगा |
किसी के बाप ने मौत को गले लगाया होगा, किसी का जवान बेटा हादसे का शिकार हो कर मौत से हम कनार हुवा होगा, किसी की दादी जान मुल्के अदम या ‘नी कब्रिस्तान रवाना हुई होंगी तो किसी की नानीजान ने कूच की होगी।
अपने फ़ौत हो जाने वाले इन अज्जू अक्रिवा की तरह एक दिन हम भी अचानक येह दुनिया छोड़ जाएंगे दिला गाफिल ना हो यकीन केह दुनिया छोड़ जाना |
है बगचि छोड़ कर खाली जूमी अन्दर समाना है तेरा नाजुक बदन भाई जो लैटे सेज फूलों पर येह होगा एक दिन बे जां इसे कीड़ों ने खाना है
तू अपनी मौत को मत भूल कर सामान चलने का उसी की खाक पर सोना है ईटों का सिरहाना है न बैली हो सके भाई न बेटा बाप रे माई नक्यं फिसता है अमल ने काम आना है कहां है जो नदी ।
कहा है तमने फिरनी गए सब छेड़ येह फानी अगर नादान दाना है अन्ना याद कर जिस दिन के एड्रेस गै – रावे कोई देरे संग अकेला त में जाना है जहां के शगल में कारगिल खुदा के चिकल से गांव व कियेड दुन्या मेरा दाइम ठिकना हैं |
गुलाम कदम न कर गलत हयात पर हो पुरी खुट की जादू कर कर दो कि जिस ने काम आना है किसी का जवान बेटा हादसे का शिकार हो कर मौत से हम कनार हुवा होगा, किसी की दादी जान मुल्के अदम या ‘नी कब्रिस्तान रवाना |
लेखक | मोहम्मद इलियास Mohmmad Ilyas |
भाषा | मराठी |
एकूण पृष्ठे | 38 |
Pdf साइज़ | 821.9 KB |
Category | धार्मिक(Religious) |
कबर की पहली रात – Kabar Ki Pahli Raat Book/Pustak Pdf Free Download