पृथ्वीराज रासो: चंद बरदाई | Prithvi Raj Raso PDF In Hindi

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पृथ्वी राज रासो – Prithviraj Raso Book PDF Free Download

किताब की भूमिका

‘पृथ्वीराज रासो’ हिंदी साहित्य का अत्यन्त महत्वपूर्ण ग्रंथ है । इसके संबंध में विद्वानों ने अनेक प्रकार के मत प्रक्ट किए हैं।

कुछ लोग इसे एकदम अप्रामाणिक रचना मानते हैं और कुछ दूसरे लोग पूर्ण रूप से तो नहीं पर श्रांशिक रूप से इसे प्रामाणिक ग्रंथ मानते हैं।

इस विचार के लोगों का विश्वास है कि चंद्र नाम का कोई कवि सचमुच ही पृथ्वीराज के काल में उत्पन्न हुआ था थौर उसने सचमुच ही कोई काव्य लिखा था जो थब प्रक्षेपों से स्फीत और विकृत हो गया है।

प्रामाणिकता थौर श्रप्रामाणिकता का विवाद प्रधान रूप से इस प्रश्न पर केंद्रित है कि सचमुच ही पृथ्वीराज का समकालीन और सखा कोई चंद नामक कवि था भी या नहीं।

पृथ्वीराज रासो की घटनाओं को ऐतिहासिक दृष्टि से देखनेवालों ने प्रायः निश्चित रूप से ही कह दिया है कि यह बात संभव नहीं दिखती ।

समकालीन कवि कभी ऐसी ऊल-जुलूल बातें नहीं लिख सकता। जो लोग पृथ्वीराज रासो को प्रामाणिक रचना समझते हैं। वे उन घटनाओं की ऐतिहासिकता सिद्ध करने का प्रयत्न करते हैं ।

इस प्रकार प्रत्येक थालोचक ग्रंथागत घटनाओं की ऐतिहासिकता की जाँच में ही अपनी सारी शक्ति लगा देता है। अभी तक ग्रंथ की साहित्यिक महिमा के समझने का प्रयत बहुत कम किया गया है।

इधर रासो के अनेक संक्षिप्त संस्करहों का पता लगा है, औरर पंडितों में यह जालना-कल्पना प्रारंभ हुई है कि इन्दी छोटे संस्करणों में से कोई रासो का मूल रूप है या नहीं।

अभी तक इस संस्करणों का जो कुछ विवरण देखने में पाया है, उससे तो ऐसा ही लगता है कि ये सय संस्करण रासो के संचेप रप ही हैं। म्ही विचारों के अनुसार वर्तमान संक्षिप्त रूप का संकलन किया गया है।

यह विश्वास किया जाता है कि चन्द पृथ्वीराज का मित्र, कवि और सलाहकार था । रासो में वह तीनों रूपों में चित्रित है। इस ग्रंथ के अनुसार दोनों के जन्म और मरण की तिथि भी एक है।

इस प्रकार सदा साथ रहनेवाले श्रमिन्न मित्र की रचना निश्चय ही बहुत प्रामाणिक होनी चाहिए । यही सोचकर सुप्रसिद्ध विद्वत्सभा रायल एशियाटिक सोसायटी श्रॉफ बंगाल ने इस ग्रंथ का प्रकाशन प्रारंभ किया था ।

कुछ थोड़ा-सा अंश प्रकाशित भी हो चुका था किंतु इसी समय डा० वूलर को पृथ्वीराज विजय की एक खंडित प्रति हाथ लगी |

उस पुस्तक की परीक्षा करने के बाद डा० वूलर इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि पृथ्वीराज विजय इतिहास की दृष्टि से अधिक प्रामाणिक ग्रन्थ है श्रौर पृथ्वीराजरासो अत्यंत प्रामाणिक, क्योंकि पृथ्वीराजकालीन श्रभिलेखों से पृथ्वी.. राजविजय में वर्णित घटनाएँ तो मिल जाती हैं लेकिन पृथ्वीराजरासो में वर्णित घटनाएँ नहीं मिलतीं ।

उनका पत्र सोसायटी के प्रोसीडिंग्स ( कार्य विवरण) में छापा गया और पृथ्वीराजरासो का प्रकाशन बंद कर दिया गया।

लेखक चंद बरदाई-Chand Bardai
भाषा Sanskrit, हिन्दी
कुल पृष्ठ 241
Pdf साइज़6.8 MB
Categoryइतिहास(History)

यह किताब संस्कृत भाषा में है

यह PDF संस्कृत और हिंदी अनुवाद के साथ है

पृथ्वी राज रासो – Prithviraj Raso Book/Pustak Pdf Free Download

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